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ये जीवन बड़ा निराला है : जीवन पर कविता Poem on Life Hindi

Poem on Life Hindi | Jivan Par Kavita जीवन बड़ा निराला है

विधा- ताटक छंद
इस जीवन में काँटे मिलते, फूलों की भी माला है।
कैसा होगा जीवन अपना, कैसे इसको ढाला है।।
कभी अमृत का कलश इसमें, कभी जहर का प्याला है।।
सतरंगी है जीवन अपना, जीवन बड़ा निराला है।

खुशियों का सागर भर जाता, दुःख के बादल आते हैं।
जीना हो जाता है दूभर, कष्ट कहाँ सह पाते हैं।।
साँसे भारी हो जाती हैं, घर से हमें निकाला है।
यादें आती -जाती रहती, जीवन बड़ा निराला है।।

दिन रात जो श्रम करता है, कैसे बना भिकारी है।
भाग्य कहती दुनियाँ इसको, कैसी ये लाचारी है।।
महलों का सुख जिसे मिला था, निकला उसका दिवाला है।
दाने दाने को तरसे हैं, जीवन बड़ा निराला है।।

सुख दुःख सारे क्षण भंगुर हैं, किसने इसको जाना है।
हर पल हमको सम रहना है, संतों ने भी माना है।।
साहस संग ही जीवन चलता, ये अपना रखवाला है।
हार नहीं मानो जीवन में, जीवन बड़ा निराला है।।
श्याम मठपाल, उदयपुर

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