Chidiya Rani : Poem on Birds in Hindi
चिड़िया रानी : हिंदी कविता Chidiya Rani Kavita in Hindi
चिड़िया रानी
बाग की सुन्दर डाली पर
बैठा करती चिड़िया रानी
अपने चिड़े सहेलियों साथ
करती रहती थी अठकेलियां
चींचीं के मधुर गान से
होता था सदा मधु प्रभात
बच्चे बूढ़े खुश हो जाते थे
अपने धंधों में लग जाते थे
एक दिन की अजब कहानी
डाली पर उल्टा चिड़ा सबने पाया
शांत शांत था उपवन प्यारा
चिड़िया करती करुण विलाप
मुन्ना प्यारा रोक न सका
झट डाली को पकड़ा उसने
चिड़िया को घर ले आया
मॉं की गोद में दिया डाल
मॉं ने अपने कोमल हस्तों से
चिड़िया को दी ममत्व छांव
सुंदर से पिंजरे में नव निवास
खानपानी सेवा से स्वस्थ हुई
चिड़िया रानी? यह क्या हुआ
चहक न पाई उदासी छाई
मुन्ना बोला मॉं देखो तो
मेरी चिरो क्यों नहीं बोली
मॉं ने एक दिन ध्यान लगाया
पिंजरे का पट दिया खोल
फुर्र से उड़ गई चिरो रानी
डाली पर जा बैठी महारानी
डाल डाल पर पात पात पर
फुदक रही थी चिरो रानी
बुला रही थी सखियों को
हर्षा रही थी वह अभिमानी
अब बहार आई बागों में
खिले फूल हर डाली पर
चींचीं की मधु ध्वनि सुन
जन-मन सब हर्षाये।
(स्वरचित)
___डॉ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार
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