नव वर्ष है अभिमान राष्ट्र का– हिन्दू नववर्ष पर कविता नववर्ष शुभकामनाएं
समस्त भारतवासियों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ तथा हृदयतल से बधाई। नववर्ष के शुभ अवसर पर एक रचना का प्रयासः
नववर्ष
नववर्ष है अभिमान राष्ट्र का,
राष्ट्र को करता गौरव प्रदान।
शारद पूजा करता अगवानी,
रंग गुलाल ले हर्षित हिंदुस्तान।।
फाल्गुन माह का अंतिम दिवस,
होलिका को जलाई जाती है।
प्रथम माह चैत्र कृष्ण प्रतिप्रदा,
रंग गुलाल ले होली मनाई जाती है।।
आज विक्रम संवत 2078 विदाई,
कल से होगा नववर्ष का आरंभ।
शुभ दिवस प्रथम यह नवरात्रि का,
माँ आदिशक्ति का पूजन प्रारंभ।।
नववर्ष में मंजर फल रूप लेता,
शेष मंजर संग पत्ते झड़ जाते हैं।
होतीं डालें हैं कोमल पल्लवित,
मंजर फलरूप धारण पाते हैं।।
नववर्ष में ही रवि फसलें कटतीं,
अन्न के रूप लक्ष्मी घर आतीं है।
कृषक होते हैं खुशहाल निहाल,
संतुष्टि घर में फिर छा जाती हैं।।
जाड़े में घर में छुपकर हम रहते,
स्वेटर जाकिट चादर अपनाते हैं।
बीतते शरद गर्म वस्त्र हम उतारते,
घर से बाहर हम निकल आते हैं।।
इतनी सारी ये विशेषताएँ लेकर,
आती हैं प्रतिवर्ष यह नववर्ष यहाँ।
नववर्ष इतने धूमधाम को लेकर,
विश्व में कोई भी ऐसा देश कहाँ।।
देखने को मिलती छः ऋतुएँ जहाँ,
जहाँ का नववर्ष राष्ट्र का हो प्राण।
सर्दी गर्मी वर्षा का सुख हम लेते,
विश्व में है ऐस हमारा हिंदुस्तान।।
नमन है ऐसे नववर्ष को हमारा,
नमन हमारा है ऐसे हिंदुस्तान को।
बरसाता जहाँ ऐसे पुष्प प्रकृति,
नमन हमारा ऐसे अभिमान को।।
अरुण दिव्यांश 9504503560
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।
आओ भारतीय नव वर्ष मनायें : हिंदी नववर्ष पर कविताएं
कविता
आओ भारतीय नव वर्ष मनायें
बहुत मना चुके अंग्रेजी नव वर्ष,
आओ भारतीय नव वर्ष मनायें,
करें भगवान श्री राम की पूजा,
हर घर महावीरी झंडा लहरायें।
रखें उमंग-उत्साह अपने दिल में,
घर में आज कुछ मीठा खायें,
घरों में करें आज शस्त्र की पूजा,
संध्या समय पाँच दीपक जलायें।
रखें सदैव सबसे प्रेम- सरोकार,
लोंगो में राष्ट्र प्रेम जगायें,
रखें घर-घर गीता,पुराण,रामायण,
खुद पढ़ें और सबको पढ़ायें।
नहीं रखें सरोकार देश के दुश्मन से,
नहीं उनके घर जायें, खायें,
गर कोई अपना कष्ट में हो,
उनकी मदद को आगे आयें।
बड़ा बिकट अब समय आ गया,
अभी से सभी सावधान हो जायें,
गर अस्तित्व पर आये संकट,
दुश्मन का अस्तित्व मिटायें।
छोड़ो दिल से अहिंसा की बातें,
दुश्मन को अब पहचान जायें,
नहीं समझे जब वो प्रेम की भाषा,
उसे अपने तरीके से समझायें।
-------0-------
अरविन्द अकेला,पूर्वी रामकृष्ण नगर,पटना-27
नववर्ष पर शुभकामनाएं संदेश और कविता आया नव वर्ष हसीन
आया नव वर्ष हसीन
फूटे कोंपल नवीन,
फिजाएं हैं रंगीन।
करके दूर दशा हीन,
आया नव वर्ष हसीन
लहलहाते फसलें झूम के
नाचे कृषक हो विभोर,
चहकी हर गलियां
देख हर्षित रंग भोर।
करके दूर दशा हीन,
आया नव वर्ष हसीन।
हिय है उमंग,
बजाए अनुपम तरंग।
बहती प्रेम गंग
करें न शीत तंग
करके दूर दशा हीन
आया नव वर्ष हसीन
कर प्रसार उर्जा आदित्य,
जगाए भाग्य दिव्य।
फैलाती खुशबू कृत्य,
खिलती कलियां नित्य।
करके दूर दशा हीन,
आया नव वर्ष हसीन।
रीतु प्रज्ञा
दरभंगा, बिहार
स्वरचित एवं अप्रकाशित
हिदू नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रथम विक्रम संवत दो हजार उन्यासी की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामना
---------
शस्य श्यामला चूनरी ओढ़ प्रकृति भी हरषाई है
धरा गगन सब आह्लादित नववर्ष हमारी आई है
झूम उठी डाली-डाली कोयल की मीठी तानों से
मस्त पवन ले हिचकोले सुन भँवरों की गानो से
फूलों कलियों से सज्जित वन उपवन अमराई है
धरा गगन सब आह्लादित नववर्ष हमारी आई है
फागुन की मोहक मस्ती अपने हीं रंग बिखेरे हैं
अद्भुत छटा है प्रकृति की अन्नपुर्णा डाले डेरे हैं
नूतन मन नूतन जग जन नव नूतन तरुणाई है
धरा गगन सब आह्लादित नववर्ष हमारी आई है
घर-घर में आई खुशहाली खेतों में हरीयाली है
सजी है दुल्हन सी धरती मौसम भी मतवाली है
चैत्रमास की मनमोहक क्या हवा उठी पुरवाई है
धरा गगन सब आह्लादित नववर्ष हमारी आई है
कोयल की प्यारी स्वर लहरी आमों के फूलों की महकें
हंसिए का हरहर खरखर कृषकों के मौजों की चहकें
ये आर्यावर्त का उत्सव है घर घर बजती शहनाई है
धरा गगन सब आह्लादित नववर्ष हमारी आई है
यह अलौकिक दृश्य देख तब देव धरा पर आते हैं
आनंदित धरती अंबर हम नववर्ष मनाते हैं
चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि हर्षोल्लास ले आई है
धरा गगन सब आह्लादित नववर्ष हमारी आई है
--------
उदय शंकर चौधरी नादान
कोलहंटा पटोरी दरभंगा
9934775009
नूतन वर्ष आया रे, नया साल आया रे : नववर्ष पर कविताएं
नूतन वर्ष नवरात्रा की हार्दिक बधाई शुभकामनाए
दिनांक- ०३/०४/२०२२
शीर्षक- नूतन वर्ष आया
विधा:- कविता
आया रे! आया रे!! ले कर खुशियाँ आया रे!!!
कोरोना को भगाए, सुरक्षित नया साल आया रे!
बीते दिन कर्फ्यू लॉक डाऊन के, मन हर्षाए रे!
आया रे! आया रे!! नया साल ले कर खुशियाँ आया रे!!!
भैक्सिन के भायल्स खत्म हुए, बूस्टर डोज सभों ने लगवाया रे!
सारे जग को सुरक्षित कर नया साल आया रे!
अब ना कोई होगा कोरोनाग्रसित- शुभ संदेश लाया रे!
आया रे! आया रे!! नया साल आया रे!!!
पर रहना बच कर भाई
मास्क लगा सुरक्षा अबतक हमने पाई रे!
मत जाना भीड़ में,
दो गज दूर- दूरी बनाना रे!
आया रे! आया रे!! नया साल आया रे!!!
गर्म पानी पीते रहना
नींम्बू का सेवन सदा करते रहना।
दो बार काढ़ा पीते सब रहना।
आया रे! आया रे!! नया साल आया रे!!!
खुशियां खुब मनाना रे!
गरीबों को कम्बल उढ़ाओ।
गर्मी आई चिड़िया का जल छत पर रख आओ,
सभी रहें सुखी यही मनाओ।
आया रे! आया रे!! नूतन वर्ष आया रे!!!
पुष्पा निर्मल
बेतिया, बिहार
सनातनी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ:
मोजर लागल आम के डाढ़ी, महुआ भी कोंचियाइल बा।
कोइली कूकत कहेले देखऽ, नया साल अब आइल बा।।
*
गेंहूँ भी तइयार खड़ा बा, सरसो तीसी सगरी
मदहोशी मधुमास जगावे, देखऽ डगरी डगरी
फुलन के क्यारी पर देखऽ भौंरा खूब लुभाइल बा
कोइली कूकत राग सुनावे नया साल अब आइल बा।।
*
नव पत्ता से गदरल गछिया, मस्त मगन हो झूमे
नव कुसुमित, नव हार सुसज्जित, हँसत धरा के चूमे
धरती के कण कण में देखऽ, नित नव राग समाइल बा
कोइली कूकत कहेले देखऽ नया साल अब आइल बा
*
मौसम के भी ढंग नया बा, मन में उठे उमंग
हवा बसंती मन भरमावे, खिले अजब के रंग
अइसे उठे खुमार बिजेन्दर, अंग अंग अगराइल बा
कोइली कूकत कहेले देखऽ नया साल अब आइल बा
*
बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बिजेन्दर बाबू
0 टिप्पणियाँ