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नई कविता दिशा और दशा | Nai Kavita Disha Aur Dasha

नई कविता दिशा और दशा | Nai Kavita Disha Aur Dasha


कविताएं कैसी हों : पावन गंगाजल जैसी है।

9 अप्रैल 2022
विषय नई कविता दिशा और दशा
कविता कुछ ऐसी हो।
पावन गंगाजल जैसी हो।।

निष्पक्ष भाव से हर किसी के मन को छूती हो।
जैसे गंगा का निर्मल पानी हो।।

कवि उसी समाज में रहता है।
जिसमें घटती घटनाएं हैं।।

कुछ अंतः मन को छू जाता है।
जो उजागर करता अपनी लेखनी से है।।

कवि होना अच्छी बात है।
और कविता की नई दशा दिशा बताना और अच्छी बात है।।

नई कविता जाति धर्म क्षेत्र संप्रदाय से ऊपर हो।
बस मानवता की हर पहलू को देखती हो।।

उसमें कबीर भी हो उसमें केदारनाथ अग्रवाल भी हो।
तो निराला जैसी पावन पवित्रता भी हो।।

मानस के दोहों की मिठास को भी लिए हुए चले।
सुर की वात्सल्य के रस को भी बताती चले।।

नई कविता में अब तकनीकी।
का प्रयोग होने लगा है।।

जो आज कवि कुछ भी चिंतन मनन कर रहा है।
वह कोने-कोने तक पहुंचने लगा है।।

कवि को सजग होना पड़ेगा।
जाति धर्म से ऊपर आना पड़ेगा।।

मानवीय संवेदनाओं को अपने।
साथ लेकर चलना पड़ेगा।।

इस समाज को लेखन के माध्यम से।
कुछ न कुछ अच्छी सीख देना पड़ेगा।।

समय और परिस्थितियों को देखते।
हुए नई कविता की दशा और दिशा तय करना पड़ेगा।।

बुद्धिजीवी सहृदय पाठक का भी।
ध्यान रखना पड़ेगा।।

लेखक कवि और रचनाकार।
न जाने कितने नामों से पुकारे जाते हैं।।

अपनी भावनाओं को समाज के।
सामने लाते हैं।।

और जन सामान्य की घटनाओं।
को लेखनी बद्ध करते हुए।।

नई कविता की दशा और दिशा।
तय करने का प्रयास करते जाते हैं।।

डॉ राम शरण सेठ
छटहाॅं मिर्जापुर उत्तर प्रदेश

स्वरचित मौलिक अप्रकाशित
सर्वाधिकार सुरक्षित

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