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बनाओ एकता कि चैन : आपसी एकता पर कविता Ekta Par Kavita

आपसी एकता पर कविता Ekta Par Kavita एकजुटता पर कविता


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बनाओ एकता कि चैन

शहीदों कि अरमानों कि सूली पर
देखो चढ़ रहा मेरा वतन।।

शहीदों के बलिदानों से मिली स्वतंत्रता
आज उजड़ रहा देश का हर चमन।।
हर ओर देखो नजर घुमा हर कोई
हो रहा हर ओर देश मे ही दम़न।।

लूटते अपने ही देश कि बेटियों की आबरु
क्या यही था शहीदों के ख्वाबों का वतन।।
आज बटवारे के बाद भी कहते फिरे सभी
ये तेरा वतन, ये मेरा वतन।।

धर्म, जात-पात का भेद कर आज भी
हो रहा जैसे गुलिस्तां का हनन।।
उधल-पुथल भूचाल मचा हर राज्य में
दम़ घुटे संस्कारों का कहते हैं हम।।

रस्साकसी, छिंटाकशी, अपशब्द बरसते
संस्कार का कत्ल कर, किये हैंखत्म।।
चोरी, लूट, अवैधानिक कार्यों को कर
फैला रहे खौफ हर ओर, डरे है मन।।

फैल रहा घुसपैठियों के द्वारा आतंक देश मे
भीतर के लोग ही मदद् करते जख़्म।।
शहीद हो रहे आज भी कितनी मां के लाल
सीमा पर सीना ताने डटे फौजी विशाल बन।।

मादक पदार्थों कि तस्करी कर देश में
बच्चों का उजाड़े भविष्य, जैसे दबंग।।
क्या करें, कैसे करें, कहां से लाएं हम
स्वच्छ, निर्मल भाव से भरे हुए मन।।

सोचे जो देश के हित में कोई अभिव्यक्ति
लगा देते आरोप सोच उदास हुए गगन।।
अरे मिलो उठो सब द्वेष मिटा हाथ मिलाओ
बनाओ एकता कि चैन करो मिल जतन।।

शहीदों कि अरमानों कि सूली पर
देखो चढ़ रहा मेरा वतन।।2।।

वीना आडवाणी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र

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