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घर में अकेले जीवन काटना : जिंदगी में अकेलापन शायरी


घर में अकेली औरत के लिए कविता, अकेलेपन का एहसास शायरी


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घर में अकेले जीवन काटना : जिंदगी में अकेलापन शायरी

28 अप्रैल, 2022
दादी
घर तो दिख रहा सुखी संपन्न,
अकेली ही दिख रही हैं दादी।
चेहरे से झलके भरा परिवार,
नहीं दिखते कोई प्रतिवादी।।
घर में अकेले जीवन काटना,
बहुत मुश्किल सा हो जाता है।
चारा कोई भी चल नहीं पाता,
मनोरंजन कोई अपनाता है।।
समय कुछ है पूजा में बीतता,
कुछ पढ़ने में भी बीतता है।
कुछ बीतता गहन चिंतन में,
कुछ पारिवारिक खींचता है।।
कभी देखतीं परिवार एलबम,
कभी कृष्ण कन्हैया दिखते हैं।
समय काटना मुश्किल होता,
समय बीताना ही सीखते हैं।।
याद आते बेटे बहू पोते पोती,
बेटी नाती नातिन याद आती हैं।
आधार होता तब फोटो एलबम,
तस्वीर देख समय बीताती हैं।।
यही होता दादी का दिनचर्या,
जीवन के दिन तराश रही हैं।
हो गईं अब पके आम सरीखा,
अंतिम क्षण वे तलाश रही हैं।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश 9504503560

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