हमारे चारों ओर कोरोना ताण्डव कर रहा था बेहिसाब Corona Tandav
यह ११ सेप्टेम्बर २०२० की बात है। उस समय हमारे चारों ओर कोरोना ताण्डव कर लील रहा था सभों को बेहिसाब।
एक बार हुआ ऐसा कि बिना छींक के गंध गायब हुई मेरी तो सकपका गया। मरीज लाख स्क्रीन, स्प्रे, मास्क, ग्लव्स, एप्रॉन आदि से लैश हो कर रोजाना देखना, मजबूरी थी, कहीं किसी सुराख से उड़ कर धतुरानुमा लाल-हरा-भूरा कोई अनजान कोरोना भेरियेंट छेद-वेद से आ नाषा पार हो गया हो, राम जाने। फ़ौरन होल ब्लड टेस्ट और फिर तीन हजार ₹ भुच्च जाँच-वांच में। कुछ होता तो आता। रपट जब फाइनल आई तो ताबड़तोड़ सात छींकें आई और बाजू के किचन से शुद्ध धी में आंटे का हलवा बनने की सुगंध मय कूचिये की आवाज आई। रपट देखने के साथ गंध आनी चालू! हरिकृपा अनंता 🙏🏻
उसी दिन लिखना था लधु कथा समुहों में (तब मैं अधिक घर में रहता, जरुरी काज-वाज सलटा कर सो अनेक समुह हो ग्रे फुरसत में फेस बुक और व्हाट्सएप पर, कुटुंब में पाँच लिमिट है हीं अब तक, सब में हौसला, आफजाई और रोजाना सिरकत भी करता था और मस्त रहता था) अब तो बाजू में क्या (?) चल रहा है, कुछ खटर पटर या थाल बजे या हो-हल्ला होने पर हीं कुछ सुन कर अंदाज लगा पाता हूँ) अपना घर ओरिजिनल सर्वश्रेष्ठ, वहीं सुरक्षित रह तीसरी लहर पार कर बुस्टर की तैयारी है अब। इधर फिर वैसा हीं हुआ तो एलेम्बिक कंपनी तीन स्ट्रिप्स भेजी (मुफ्त) सबका (जो संपर्क में हैं मेरे) स्पेसिफिक इम्युनोग्लोब्युलिन एजी कार्ड से नेगेटिव होने पर एक लाल लकीर हीं रह गई, नेगेटिव आया। प्रभुकृपा बरकरार, आगे तो चौथी लहर खुद-ब-खुद आ कर कूच करेगी इहजगत् से।
सभी स्वस्थ्य रहें, प्रसन्न रहें, मुस्कुराते रहेँ।
इति शुभम्!
डॉ. कवि कुमार निर्मल✍️
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