Buffet System Par Hasya Vyang बुफेट सिस्टम से परोसा गया खाना
पहुँचे तिलेसर भाई एक ऐसे बारात में, जिसमें बुफेट सिस्टम द्वारा परोसा जा रहा था बारातीजनो को खाना।
प्लेट पकड़ कतार में खड़े देख आश्चर्यचकित हो गये, कुछ काऊंटरो पर भोजन परोस रही थी जनाना।।
धक्कामुक्की तो खूब हो रहा था, कुछ लोग तो टूट रहे थे मटर पनीर पर।
जूठे प्लेटो को लेकर लोग आ जा रहे थे किसी भी काऊंटर पर भीड़ चीर कर।।
तब तनिका सोंचें अपना बाल पकड़कर नोचें कि इतना अशुद्ध भोजन करूँ वो भी खड़े खड़े, इससे तो अच्छा है रह जाँऊ आज उपवास।
क्योंकि खड़े खड़े भोजन तो जानवर सब करता है जो घूम घूम कर खाता है घास।।
खूँटातोड़, खाएगा खिलाएगा जैसा अन्न तो होगा भी वैसा ही मन्न, फिर कहां भेदभाव रह जाता है जात पात का।
तभी से तिलेसर भाई जाति देख अपना मतदान तक नही करते, क्योंकि वे अब माजरा समझ गये है धर्म के औकात का।।
कविः खूँटातोड़
व्यंग्यकार
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