भगवान महावीर पर कविता Bhagwan Mahaveer Par Kavita
जय-जय-जय महावीर स्वामी
महावीर स्वामी
जय-जय-जय महावीर स्वामी।
ज्ञान मोक्ष के अन्तर्यामी।
क्षत्रिय कुल में जन्म लिया,
बचपन वैभव में जीया।
सिद्धार्थ के सपूत तुम
माँ त्रिशला की गोद पला।
जय-जय-जय महावीर स्वामी।
ज्ञान मोक्ष के अन्तर्यामी।
वैशाली का कुण्डल ग्राम।
धन्य हो गया सकल धाम।
ऊगा ज्ञान का नया सूरज,
इस धरती को करूँ प्रणाम।
जय-जय-जय महावीर स्वामी।
ज्ञान मोक्ष के अन्तर्यामी।
हिंसा-बलि चहुँ ओर था।
जाति-पाँति का बहुत जोर था।
काम-क्रोधी थे प्रतापी,
शांति का नहीं भोर था।
जय-जय-जय महावीर स्वामी।
ज्ञान मोक्ष के अन्तर्यामी।
लोभ-मोह में मानव जकड़ा।
विषय- वासना में वो तगड़ा।
छल-कपट सब पर हावी,
बात-बात पर होता लफड़ा।
जय-जय-जय महावीर स्वामी।
ज्ञान मोक्ष के अन्तर्यामी।
प्रतिशोध की ज्वाला भयंकर।
क्षमा का अभाव अंदर।
इन्द्र्य सुख की लालसा बड़ी थी,
माया-मोह का था समंदर।
जय-जय-जय महावीर स्वामी।
ज्ञान मोक्ष के अन्तर्यामी।
वैराग्य मन में जागा।
राज-पाट को तुरंत त्यागा।
वस्त्र तक परित्याग किये,
शांति का सन्देश बाँचा।
जय-जय-जय महावीर स्वामी,
ज्ञान मोक्ष के अन्तर्यामी।
सत्य-अहिंसा का मार्ग दिखाया।
ब्रह्मचर्य का मूल समझाया।
कर्मों के फल सभी भोगते,
सर्व जन को गले लगाया।
जय-जय-जय महावीर स्वामी।
ज्ञान मोक्ष के अन्तर्यामी।
त्याग-तपस्या की वो मूरत।
सत्य वचनो की वो सूरत।
क्षमा करने की उनमें शक्ति,
दिगंबर- संयम के वो पूरक।
जय-जय-जय महावीर स्वामी।
ज्ञान मोक्ष के अन्तर्यामी।
ब्राह्मण-भिक्षु का कर्म समझाया।
माया-मोह को शत्रु बताया।
चोरी को महापाप कहा,
तप को धर्म का मार्ग बतलाया।
जय-जय-जय महावीर स्वामी।
ज्ञान मोक्ष के अन्तर्यामी।
काम -क्रोध से दूर रहना।
मान-सम्मान का भाव न रखना।
प्रमाद का भाव ठीक नहीं,
हर पीड़ा को सहर्ष सहना।
जय-जय-जय महावीर स्वामी।
ज्ञान मोक्ष के अन्तर्यामी।
पावापुरी में प्रयाण किया।
अपना जीवन अर्पित किया।
चौबीसवें तीर्थंकर कहलाये,
दुनियां को नया मार्ग बताया।
जय-जय-जय महावीर स्वामी।
ज्ञान मोक्ष के अन्तर्यामी।
श्याम मठपाल
भगवान महावीर जी की जयंती पर कविता : जन्म लिया महावीर प्रभु ने
जन्म लिया महावीर प्रभु ने
दुनियाँ कॊ बतलाना है।
सत्य अहिंसा धर्म का डंका
दुनियाँ में बजाना है।
केसरिया जिनमत का झंडा
घर घर में लहराना है।
जन्म लिया महावीर प्रभु ने
जन जन कॊ बतलाना है।
जन्म दिवस श्री वीर प्रभु का
शान से हमें मनाना है।
जिओ ओर जिने दो का अधिकार
सभी कॊ दुनियाँ कॊ बतलाना है।
मिटेगे कष्ट अब तो दुनियाँ के
फिर महावीर ने जन्म लिया
सत्य अहिंसा की राह बस
दुनियाँ कॊ दिखलाना है।
जन्म लिया है महावीर ने
महा उत्सव हमें मानना है।
महावीर की वाणी कॊ
घर घर में पहुंचाना है।
घर घर दीप जलाना है
दीपोत्सव हमें मनाना है।
है कष्ट बड़ा अब दुनियाँ में
हमको अब आगे आना है।
हम महावीर के वंशज है
दुनियाँ कॊ हमें बताना है।
जन्म लिया है महावीर ने
दुनियाँ कॊ बतलाना है।
देश धर्म पर अर्पित अपना
तन धन ये समझाना है।
हम जैन है भारतवर्ष के
देश पै जीना मरना है।
जन्म लिया फिर महावीर ने
उत्सव बड़ा मनाना है ॥
निर्दोष लक्ष्य जैन धनबाद
3।4।2020
0 टिप्पणियाँ