Ticker

6/recent/ticker-posts

हिंदी कहानी : घर परिवार Ghar Parivar : Moral Stories In Hindi

हिंदी कहानी : घर परिवार Ghar Parivar : Moral Stories In Hindi

घर परिवार
एक माँ का बेटा भूखे पेट सुबह सुबह घर से निकल जाता है और वो अपनी शारीरिक असमर्थता उसके लिए उसे लगता है अभिशाप बन गई और वो कलप के रह जाने को मजबूर हो जाती है।उधर पिता ने कभी अपने को इतना असहाय नही पाया जितना यह सब देख, आज उसकी मनोदशा हो रही हैं।रुपया है पैसा भगवान का दिया सबकुछ फिर भी एक नासमझ स्त्री ने पूरा घर शमशान बना कर रख दिया है।कुछ कहते नही बनता घर की इज्जत और घर की शांति के लिए।उधर रमेश होटल में नास्ते की प्लेट में नास्ता देख मुंह में डालने के लिए निवाला उठाया तो पर वो मुंह मे डालते ही नही बन रहा यह सोच मैं तो बाहर पैसे देकर खा लूंगा, किंतु हाथ मे पैसे होने के बावजूद घर मे अम्मा बाउजी भूखे पेट रहने को मजबूर और विवश है, कितने लाचार है के बाहर भी नही जाकर खा सकते, अपवाद ही सही पर क्या स्त्रियां इतनी भी नासमझ, संवेदनहीन, निरलज्ज हो सकती है।क्या नही किया मैंने उसके लिए हर बात मानी हर जरूरत पूरी की सिवाय इसके अम्मा बाउजी को इस बुढ़ापे में किसके सहारे अकेला छोड़ने की, हाय रे मेरी किस्मत मेरे ही नसीब में ऐसी नासमझ स्त्री से पाला पड़ना था, नास्ते का मुंह तक पहुंचा हुआ निवाला मुंह मे तो नही गया यह सोच के अम्मा बाउजी ने कुछ खाया नही होगा, बिल के पैसे पानी के ग्लास के नीचे दबा, रमेश होटल से निकल पड़ा आफिस के लिए यही बुदबुदाते हे राम मैं थक गया ऐसी कलही स्त्री से उसका मुंह भी देखना जैसे पाप लगता हो अब तू ही मेरे घर संसार की इज्जत बचा प्रभु, मेरा स्वभाव और मुझे ऐसे संस्कार तो नही मिले के मैं भी उसी की तरह उससे पेश आ पाँउ, हे राम त्राहि माम् हे राम त्राहि माम दया कर कृपा कर प्रभु विनती करते बे मन आफिस की सीढ़ियां चढ़ने लगा।
आनंद पाण्डेय "केवल"
Read More और पढ़ें:

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ