Bicycle Dynamo Lantern Poem in Hindi
साइकिल डायनेमो लालटेन, तेज गति से बदलती दुनिया पर कविता
चित्रलेखन 85
साईकिल डायनेमो लालटेन
तेज गति में आज दुनिया भागे,
देख जमाना अब साईकिल का।
घर घर में साईकिल विराजित,
था जमाना वह साईकिल का।।
बच्चे बूढ़े और नौजवानो को भी,
साईकिल ही मस्त सवारी थी।
दहेज में माँगते थे भी साईकिल,
जीवन में साईकिल ही न्यारी थी।।
युवा करते साईकिल तौहिनी,
आया जमाना विहाईकिल का।
तेज गति में आज दुनिया भागे,
देख ले जमाना साईकिल का।।
वाहनें भी तो थीं तब नदारत,
साईकिल से सबको प्यार था।
बिजली नहीं थी गाँवों में तब भी,
डायनेमो ही इसका आधार था।।
सरकारी विद्यालय होते गौण,
महत्व बढ़ा संत माईकिल का।
तेज गति में आज दुनिया भागे,
देख ले जमाना साईकिल का।।
डायनेमो हेतु भी नहीं थे सक्षम,
भारत देश भी तब गरीब था।
डायनेमो होती वहीं सुशोभित,
जो अमीरी के भी करीब था।।
जन जन बोले जोर से जोश में,
आया जमाना मोटरसाईकिल का।
तेज गति में आज दुनिया भागे,
देख ले जमाना साईकील का।।
रात कहीं गर जाना भी होता,
लालटेन बना एक सहारा था।
डूबते को था तिनके का सहारा,
तम से मिलता भी किनारा था।।
आज जमाना देख लो है आया,
बाईक विहाईकिल ट्राईसाईकिल का।
तेज गति में आज दुनिया भागे,
देख ले जमाना साईकिल का।।
बाईक बनी अमीरों की सवारी,
साईकिल दे गरीबी का पहचान।
पैसे फूँककर वह धुआँ उड़ाता,
साईकिल है गरीबों का अरमान।।
सड़क जाम में साईकिल भागे,
आज भी जमाना साईकिल का।
तेज गति में आज दुनिया भागे,
देख ले जमाना साईकिल का।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।
अरुण दिव्यांश 9504503560
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