लघुकथा : अरमान Armaan Hindi Short Story
शीर्षक-अरमान
" मां कहां जा रही हो?आज तो आपकी छुट्टी है। मेरे साथ घूमने चलिए। " डा० राधा की सात वर्षीय बेटी मुन्नी बोली।
" तुम भी साथ चलो। मैं तुम्हें एक प्यारी सी मेहमान से मिलाऊंगी। "
" मां वो कहां है। उसका नाम क्या है?" मुन्नी उत्साहित होकर पूछी।
" शीघ्र तैयार हो जाओ। उससे मिलकर तुम्हारे सारे सवालों का जवाब मिल जाएगा। " राधा मुन्नी के साथ घर से विदा होती है। दोनों कार से आधा घंटा बाद एक मकान के पास पहुंचती है। राधा बाहर से ही रीना, रीना, रीना, रीना, कहकर पुकारती है। एक व्यक्ति मकान से बाहर आकर डा० राधा एवं मुन्नी को कमरे के अंदर ले जाता है। रीना प्यारी सी गुड़िया के साथ खेल रही है। दोनों मां-बेटी खिलखिलाकर हंस रही हैं। रीना बहुत खुश नजर आ रही है।
" आज आप की वजह से मेरे अरमान पूरे हो रहे हैं। मैं हर्षोल्लास के साथ परिवार संग इसका अन्नप्राशन संस्कार करूंगी। आपने ही इस फूल सी बच्ची को बचाकर मेरी सूनी गोद में खुशियां भर दी। घर वाले तो इसे फेंकने जा रहे थे कि बेटी को जन्म दी है। उस समय नवजात शीशु की हालत भी गंभीर थी। आप ही सबसे लड़कर बिन फिस लिए इसका इलाज की। मेरी एवं मेरी गुड़िया में नयी जान लायी। " कहते-कहते रीना भावुक हो गयी। डा०राधा के पैर छूकर प्रणाम की। परिवार के सभी सदस्य डा०राधा से बहुत खुश हैं। मुन्नी भी प्यारी मेहमान से मिलकर बहुत खुश होती है।
रीतु प्रज्ञा
दरभंगा, बिहार
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