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रूस और यूक्रेन युद्ध पर शायरी और कविता Shayari and Poetry on Russia and Ukraine War

रूस और यूक्रेन युद्ध Shayari and Poetry on Russia and Ukraine War

रूस और यूक्रेन के विनाशकारी युद्ध पर कविता
विनाशकारी युद्ध

चलो मिलकर एक और घर जलाते है
राह मुस्किल नही कुछ काँटे बिछाते है
जग का यही रीत जनता त्राहि त्राहि में
तानाशाही छोड़े नही जनता को सताते हैं
चलो फिर से मिलकर एक नया जग बनाते हैं।।

हर तरफ बिछा जाल बम और गोलो से
मर गई इंसानियत बनाए अपने अशुलों से
कब तक लड़ेंगे हम इंसानी भाईचारो से
अपने ही ख्वाहिशों में हम मानवता मिटाते हैं
चलो फिर से मिलकर एक नया जग बनाते हैं।।

देखो युद्ध चल रहा सीना छलनी हो रहा
हाहाकार मचा रहा विश्व अशांत हो रहा
हर तरफ आग है शहर बस्ती जल रहा
इंसानों के भेष में वे भेड़िया बन सताते है
चलो फिर से मिलकर एक नया जग बनाते हैं।।

यूक्रेन रूस की युद्ध में तानाशाही हावी है
ऐसा लगाता अब तो विश्वयुद्ध ही भावी है
संभल जाओ जगवालो यही अब राह बचा
शांति की राह चल कर इंसानों को मिलाते हैं
चलो फिर से मिलकर एक नया जग बनाते हैं।।

बम के धमाको से कितने हिटलर बन पायेंगे
अपने ही इंसानो के अब चिंथड़े बन जायेंगे
माशूमियत की चीत्कार गूँज रहा सड़कों पर
पहले चीख शोरो को जग से चलो मिटाते हैं
चलो फिर से मिलकर एक नया जग बनाते हैं।।

कब तक फँसे रहेंगे हम तानाशाही दलदल में
थोड़ी सी हिम्मत भर लो अपने ही बाहुबल में
बारूद भरे इस शहर में धमाकों का शोर है
शांतिदूत बनकर हम चलो मानवता बचाते हैं
चलो फिर से मिलकर एक नया जग बनाते हैं।।
सुधीर सिंह आसनसोल


रूस और यूक्रेन युद्ध पर शायरी और कविता Shayari and Poetry on Russia and Ukraine War

रूस और यूक्रेन युद्ध पर शायरी और कविताएं हिंदी में

कोरोना की तबाही, फिर ओमिक्रोन का डर।
अब रूस और यूक्रेन की तबाही का मंज़र।
जीवन का हर क़दम संभलता नहीं है अब,
डर के साए में, गुज़रने लगा है ये सफऱ।

सुकून से दो पल यहाँ बिताने आये थे।
कर्ज़दार तो नहीं जो क़र्ज़ चुकाने आए थे।
गूँज रही है धमाकों की आवाज़ कानों में,
खामोशी से अश्क़ तो नहीं बहाने आए थे।

वजह कुछ भी हो, बे-वजह न बनाओ।
इंसानियत है अगर ज़िंदा, इंसानो को बचाओ।
तड़प, दर्द, तबाही, के सिवाय कुछ नहीं,
शान्ति चाहिए हमें, अशांति न फैलाओ।

आसमाँ का रंग, अब धुआँ-धुआँ हो गया।
चीख़ आई है, फिर किसी का अपना खो गया।
स्याही भी नहा रही है, ख़ून के समन्दर में,
इस साल में क्या ख़्वाब सजाया, क्या हो गया।

जिस्म के चिथड़े हुए, तो कहीं मकान नहीं रहा,
ज़िन्दगी घने अंधेरे में है, जीने का सामान नहीं रहा,
बच्चे, जवान, बूढ़े फँस के रह गए है, सर-ज़मीन पर
युद्ध से कभी भी, मसले के हल का इमकान नहीं रहा।
युद्ध से कभी भी, मसले के हल का इमकान नहीं रहा।

नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़
मुंबई
Nilofar Farooqui Tauseef
Fb, ig-writernilofar


युद्ध के बाद की तस्वीर : रूस यूक्रेन युद्ध पर शायरी Poetry On Russia Ukraine War

युद्ध के बाद की तस्वीर
अजीब-व-ग़रीब तस्वीर, आँखों में छाई है।
बदहाली, बेबसी, भुखमरी नज़र आई है।
उम्र गुज़ार दी, ईंट-से-ईंट जोड़ घर बनाने में,
आग लगाकर घरों को, ख़ूब सितम ढाई है।

माँ का आँचल छूटा, कहीं पिता का साया,
यतिमी देख यहाँ, ख़ून आँखों में उतर आया।
सर्वश्रेष्ट और महान बनने की जिज्ञासा में,
इंसान तो अपनी इंसानियत कुचल आया।

चारों ओर पसरा सन्नाटा, शहर ख़ामोश हुआ,
ज़ालिम करके सितम यहाँ, कहाँ रूपोश हुआ।
बारूद का ढेर लगा है, शहर बन गया खंडहर,
नशा चढा कर रुतबे का, देखो मदहोश हुआ।

ज़ुल्म के शिकार बच्चों को, कहीं, कोई ले जाएगा,
पढा-लिखाकर झूठी बातें, बारूद बनाया जाएगा।
जो कभी लाडली हुआ करती थीं बेटियाँ घर की,
दो रोटी की ख़ातिर, बाज़ार में दाम लगाया जाएगा।

इतिहास के पन्नों में, दर्ज हो जाएगी एक तहरीर,
युद्ध के बाद की, आख़िर कैसी होगी ये तस्वीर,
आँसू, दर्द, ग़म, तन्हाई दे गया ज़ालिम सौगात में,
पल में पलट कर रख दी थी, कितनों की तक़दीर।
पल में पलट कर रख दी थी, कितनों की तक़दीर।

नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़
मुंबई
Nilofar Farooqui Tauseef
Fb, ig-writernilofar


युद्ध पर कविता

युद्ध
किसी के लिए
होती है मजबूरी
तो किसी के लिए जरूरी
तो किसी के तानाशाही रवैये की सनक,
युद्ध से
सिर्फ जनहानि और
अर्थव्यवस्था ही नहीं चरमराती
अपितु सदा के लिए
मर जाता है प्रेम
और जन्म लेती है नफरत,
जो भविष्य में
होने वाले युद्धों का
बनती है आधार।
अनिल शर्मा


रूस और यूक्रेन विवाद पर शायरी

जीत या हार
अनुज 'अनहद' (26 फरवरी, 2022)
बस एक युद्ध,
हुई शांति अवरुद्ध।
प्रेम हुआ घायल
हुई मौत मानवता की।।
सिर्फ एक सैनिक
नहीं मरता युद्ध में।
मरता है,
उसके देश का सम्मान।
उसकी माँ का सहारा,
बीवी का वर्तमान।।
बच्चों का सपना
टूट जाता है।
और उनका भविष्य भी
मर जाता है।।
फिर भी कुछ लोगों को,
युद्ध जाने क्यूँ भाता है।
उनका अपना अभिमान,
इतना बढ़ जाता है।
औरों के सपनों और
भविष्य से बड़ा हो जाता है।।
दूसरों की मौत को
जो अपनी जीत मानता है।
खुद उसका ज़मीर
पहले ही मर जाता है।।
युद्ध जीत कर भी
वो बहुत कुछ हार जाता है।।


युद्ध पर कविता : युद्ध से होता सदा विनाश

गीत
विषय- युद्ध से होता सदा विनाश

हाहाकार मचता जग में, लाशों का लगता अम्बार
युद्ध रचती विनाशलीला, हर तरफ होता चित्कार

गोला बारूद और धमाके, जलने लगता हर शहर
आँसू की बरसात होती, ढाता ये तो बड़ा कहर
तहस नहस होता जीवन, जान ले लेता है जहर
अँधा जिद्दी शासक कोई, होता नहीं उसपर असर

विमानों से बम गिरते, आम आदमी होता लाचार
हाहाकार मचता जग में, लाशों का लगता अम्बार

अनाथ हो जाते हैं बच्चे, विधवा हो जाती नारी
भूखे मरने लगते हैं सब, फ़ैल जाती है बिमारी
काम-धंधे बंद हो जाते, हो जाती मारा -मारी
तानाशाह अंधे शासक, पिसती है जनता सारी

टैंक मिसाइल धूम मचाते, होते कितने अत्याचार
हाहाकार मचता जग में, लाशों का लगता अम्बार

धू-धू करके घर जलते हैं, कोई सुनता नहीं पुकार
धूल धुआँ आग लपटें, देखता रहता है ये संसार
भूखे रोगी बेवस सारे, मांग रहे अपना अधिकार
मानवता को भूल गए हैं, कैसा है ये नर संहार

खौफजदा हैं लोग सारे, छूट गया है घर परिवार
हाहाकार मचता जग में, लाशों का लगता अम्बार

छोड़ चले हैं देश अपना, अपनी जान बचाने को
रिश्ते सारे टूट गए हैं, होश नहीं है जमाने को
सड़क पुल भवन सारे, मलबे में देखो बदल गए
शांति का कौन पुजारी, आदमी सारे असल गए

मरघट सी दिखती है दुनियाँ, कौन करेगा अब विचार
हाहाकार मचता जग में, लाशों का लगता अम्बार
श्याम मठपाल, उदयपुर


सुबह की तलाश : युद्ध पर शायरी युद्ध पर कविताएं हिंदी में

सुबह की तलाश
हर तरफ है अँधेरा, सुबह की तलाश है
कहाँ छुपा है शिकारी, जीव अब हताश है
खूनी पंजे दिख रहे, शोले आँखों में जले
मारने की होड़ है, इंसानियत निराश है

धूल गर्द बादलों से, ढका आसमान है
रोशनी है कैद अब, बना शमशान है
चीखें चीत्कार है, आंसुओं की बाढ़ है
गोला बारूद बरसे, कहाँ अब इंसान है

आग आग ही है, मलबे के ही ढेर हैं
निहत्थों को मार रहे, कागज के शेर हैं
दानवता दिख रही, बर्बादी का मंजर है
बस शोर ही शोर है, समय का फेर है

छुप गया है सूरज, छुपा आकाश है
अहम् ही पल रहा, किसे आभास है
झूठी ये शान है, जिद्दी ये बर्ताव है
आँखों में पट्टियां, सुबह की तलाश है
श्याम मठपाल, उदयपुर


युद्ध की कीमत
युद्ध की कीमत (कविता)

युद्ध की कीमत (कविता)

एक दिन युद्ध समाप्त हो जाएगा
अपनी विभीषिका का
इतिहास पीछे छोड़
शहीदों के शवों का
मुल्य खाक में मिल जाएगा
नेतागण हाथ मिलाएंगे
और एक वृद्ध मां
अपने शहीद हो गए
बेटे के इंतजार में आंखें पथराएगी,
एक विवाहित औरत करेगी
इंतजार अपने हमसफर के
लौट आने का
और बच्चे अपने
पिता का
पता नहीं युद्ध की वजह?
पता नहीं किसने वतन बेचा?
पता नहीं खुशी को
मातम में किसने बदला?
पता नहीं जो युद्ध
संघर्ष झेलने की भीतर चल रहा
उसका होगा क्या?
हाथ से हाथ मिलेंगे
शहीदों के शवों पर
युद्ध की कीमत चुकाती आईं हैं
और आगे भी चुकाएगी
एक मां,
एक औरत
और छोटे-छोटे बच्चे
जो कल भी निर्दोष थे
आज भी है और कल भी रहेंगे
कवि बिनोद कुमार रजक (शिक्षक महात्मा गांधी हाई स्कूल आसनसोल पश्चिम बंगाल)


यूक्रेन युद्ध पर खुंटातोड़ चुटकुले

पत्नी: आप कभी रूस या यूक्रेन गए हैं??
पति: नहीं।
पत्नी: क्या हम वहां रहने जा रहे हैं??
पति: नहीं।
पत्नी: क्या आपका कोई रिश्तेदार रूस/यूक्रेन में है??
पति: नहीं।
पत्नी: तो फिर TV का रिमोट मुझे दो।
खुंटातोड़ चुटकुले
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