लता मंगेशकर पर कविता और शायरी : लता दीदी वीणा की आवाज हो तुम
(कविता)
“स्वर कोकिला सुर साम्राज्ञी भारत रत्न लता मंगेशकर जी को नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि”
सरस्वती माता के हाथ में अगर वीणा है,
लता दीदी उस वीणा की आवाज हो तुम।
तेरे बिन गीत संगीत अधूरा और सूना है,
सुर और लय कैसे मिलते, राज हो तुम।
सरस्वती माता के हाथ………….
पुरस्कारों से तुम सम्मानित नहीं हुई हो,
तुमसे पुरस्कार सम्मानित, ताज हो तुम।
भारत रत्न मिला खुश हुई भारत माता,
मां वीणा वादिनी के हर अंदाज हो तुम।
सरस्वती माता के हाथ………..
तेरी आवाज ही तेरी पहचान है जग में,
गायकी की हर विधा का नाज हो तुम।
तुम मन, चमन, आंगन में गूंज रही हो
न अतीत न इतिहास हो, आज हो तुम।
सरस्वती माता के हाथ……….
तेरी मधुर आवाज से देवी देवता जागते,
भजन व भक्ति गीतों की लाज हो तुम।
जल, थल और नभ में तुम हो लता जी,
गीत संगीत सवार जहां, जहाज हो तुम।
सरस्वती माता के हाथ………..
तुमको चाहकर भी नहीं भूला सकता कोई,
आवाज सजती जिससे, वो साज हो तुम।
जब तक सागर में पानी है, जिंदगानी है,
हंसी खुशी संग जीने का रिवाज हो तुम।
सरस्वती माता के हाथ………….
तुम जहां भी जाओगी, संगीत साथ होगा,
चाहनेवालों के मुंह के अल्फाज हो तुम।
तेरे दिवंगत होने की खबर ने रुला दिया,
जो बादलों में चमके, आफताब हो तुम।
सरस्वती माता के हाथ………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर जी
जिस करिश्माई आवाज का कोई जवाब नहीं है, इस धरती पर,
सुर की उसी महादेवी का नाम है, भारत रत्न लता मंगेशकर।
आपकी ऊंचाइयों के आगे, बहुत नीचे लगता है यह नीला अम्बर।
आपकी जैसी रत्ना सदियों बाद इस धरती पे अवतरित होती है,
जिसे युग युग तक, यह जमाना रखता है बड़े प्यार से संभालाकर।
आपकी गायिकी बेमिसाल है दुनिया में, आप हंसते मुस्कुराते रहें,
वसंत ऋतु में कोयल भी शर्माती है, आपको दूर से कहीं देखकर।
माता सरस्वती तो आपके गले में निवास करती हैं, बड़े अभिमान से,
कभी नहीं जाना चाहेगी, आपकी सुर साधना को अकेली छोड़कर।
आप भारत देश को एक अनोखी पहचान दिलाती हैं, विश्व रंग मंच पर,
कानों में आपके गीत गूंजने पर, इंसान ताज़ा हो जाता है गम भूलकर।
परमात्मा आपको लंबी आयु का वरदान दे, देश की विनती सुनकर।
आपके गीतों के आगे, हर योद्धा हार जाता है अपनी बाजी जीतकर।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
लता मंगेशकर जी के प्रति: श्रद्धा सुमन लता मंगेशकर पर कविता और शायरी
लता मंगेशकर जी के प्रति: श्रद्धा सुमन कविता
स्वर-साम्राज्ञी, राष्ट्र आवाज-सहराब्दी आवाज, भारत कोकिला।
लता मंगेशकर थीं पार्श्वगायिका, संगीत निदेशक स्वर कोकिला।
पं. दिनानाथ मंगेशकर शास्त्रीय गायक, शैशव लता को पित्रिहीन किया।
१ला मराठी गीत 'किती हसाल (कितना हसोगे?)' १९४२ प्रसिद्ध हुआ।
ब्रेक फिल्म महल का सुपर हिट गीत आयेगा आने वाला उनका, गाया।
लता जी ने बीस से अधिक भाषाओं में तीन हजार से अधिक गीत गाया।
१९८० बाद फ़िल्मो में गायकी कम कर स्टेज शो- अफ़रात शौहरत पाया।
लता एकमात्र ऐसी कलाकार जिनके नाम से पुरस्कार दिए जाता हैं।
लता ने आनंद घन बैनर तले फ़िल्मो का निर्माण कर संगीत दिया है।
वे हमेशा नंगे पाँव गाना गाने वाली भारतीय प्रथम गायक महिला हैं।
फिल्म फेयर पुरस्कार (१९५८, '६२, '६५, '६९, '९३ - '९४) मिले हैं।
राष्ट्रीय पुरस्कार (१९७२, '७५-९०) महाराष्ट्री पुरस्कार (१९६६-'६७) मिला है।
१९६९ पद्म भूषण और १९७४ सर्वाधिक गायकी गिनीज़ बुक रिकॉर्ड बना है।
'८९ दादा साहब फाल्के, '९३ फिल्म फेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार।
'९६ स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार व '९७ राजीवगांधी पुरस्कार।
'९९ का एन.टी.आर., पद्मविभूषण जी सिने लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार।
२००० का आई. आई. ए. एफ. लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार।
'२००१ स्टारडस्ट लाइफटाइम अचीवमेंट व 'भारत रत्न' पुरस्कार।
भारत का सर्वोच्च नागरिक, नूरजहाँ ओ' महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार।
लता जी का कुटुंब सारा 'संगीत संसार' में आहुत, कला प्रेमी रहा है।
९३ की आयु में भी इनका महाप्रयाण सारे जगत् को बहुत खला है।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल
ॐशांति! ॐशांति!! ॐशांति!!!
स्वर की देवी की पूजन हुई : श्रद्धांजली अर्पण लता मंगेशकर पर कविता और शायरी
श्रद्धांजली अर्पण
स्वर की देवी की पूजन हुई,
अंर सुर सम्राज्ञी चली गईं।
स्वर कोकिल की थीं धरोहर,
स्वर लहरी में थी पली भईं।।
माँ शारदे के जाने से ही पहले,
स्वर की माता ले लीं विदाई।
स्वर की लताओं में उलझाकर,
कर हिलाकर सदेह लीं जुदाई।।
कौन देंगी अब कोकिल स्वर,
रो रही अब यह भारती माई।
जानेवाला तो कभी आया नहीं,
कौन करेंगी अब इनकी भरपाई।।
फिल्म जगत अब हुआ सूना,
स्वर सम्राज्ञी कोकिल स्वर से।
हो गया अब यह विरान भारत,
कोकिल स्वर सम्राज्ञी के वर से।।
तुझे कोटिशः नमन स्वर सम्राज्ञी,
तुम तो थीं समाज के ही दर्पण।
नमन है तेरी कोकिल स्वर को,
शब्द श्रद्धांजली कर रहा अर्पण।।
9504503560 अरुण दिव्यांश
स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन पर दो शब्द
जाने तुम कहाँ गयी
जाने तुम कहाँ गयी,
मेरी लता दीदी,
हमें छोड़कर,
क्या हुयी गलती मुझसे,
जो चली गयी,
मुझसे मूंह मोड़कर।
कुछ साल और रूक जाती,
तेरा क्या जाता,
गर शतक लगाती,
बड़ा मजा आता,
हमें छोड़ गयी अकेला,
अनजाने मोड़ पर।
तेरा था हृदय विशाल,
तुम थी भारत की भाल,
तेरे सुर के करोड़ों दिवाने,
तुमसे था यह देश निहाल,
तेरा जाना खलता है मुझको,
इस कदर मूंह मोड़कर।
अरविन्द अकेला
भारत रत्न लता मंगेशकर जी
शब्दों में नई संस्कृति, सात सुरों पे राज,
लता मंगेश्कर जी की कोयल सी आवाज़
ज़िंदादिली हर गाने में आज भी जिंदा,
देशभक्ति, मुहब्बत हर फ़साने में अंदाज़।
मधुर सी कोकिला, देश की शान,
गूँज उठा चप्पा-चप्पा पे सुरों की तान,
सरस्वती का वास इनके ह्रदय में,
जिसे सुन मन्त्र मुग्ध होता हिंदुस्तान।
पंचतत्व में विलीन हुई, छा गयी नमी,
सुर मिलेंगे नहीं ऐसी, रहेगी युग-युग कमी,
एक सितारा नहीं , खो गया है चाँद,
फ़लक को ताकते रहेगी हर पल ये ज़मी।
फ़लक को ताकते रहेगी हर पल ये ज़मी।
भावपूर्ण श्रद्धांजलि
नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़
मुंबई
Nilofar Farooqui Tauseef
Fb, ig-writernilofar
भावपूर्ण श्रद्धांजलि - लता मंगेशकर
यह बसंत की पंचम बेला।
नारायण भी खेले खेला।।
पास लता को आज बुलाया।
शोक लहर इस जग में छाया।।
मात शारदे कंठ विराजे।
शाँत हुए अब सारे बाजे।।
लील लिया आवाज करोना।
छोड़ गया बस रोना-धोना।।
फिल्मों में गाती थी गाना।
करती थी जादू यह माना।।
कोयल-सी वह मीठी बोली।
ज्यूँ कानों में मिश्री घोली।।
वाणी से बहती रसधारा।
सुने प्यार से यह जग सारा।।
वाणी ही पहचान तुम्हारा।
गीत सदा लगता अति प्यारा।।
भारत रत्न लता ने पाया।
हर हिन्दू का मान बढ़ाया।।
सुर की नदियाँ लता बहाई।
पद्म विभूषण भी तो पाई।।
थी स्वभाव से दीदी भोली।
गीतों से भर देती झोली।।
स्वर साम्राज्ञी वह कहलाती।
सात सुरों में गीत सुनाती।।
लता बिना खामोशी छाई।
आँखें नम दे रहे बिदाई।।
लहराया परचम यह जानो।
दे श्रद्धांजलि दिल से मानो।।
✒️ राजकुमार छापड़िया
लता मंगेशकर जी को श्रद्धांजली : पंचतत्व बांह पसारे आनेवाले का राह निहारे
मेरे नैनों में नीर भरा
तेरे दर्शन का पीर भरा
गुम हो गई आवाज़ सुरीली
बेकल मन अधीर भरा!
लता प्रासर
शत-शत नमन वंदन अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि लता मंगेशकर जी
मां शारदे आई स्वयं अपनी सुता को ले गई।
सुर ताल की देवी स्वर्णिम लता को ले गई।।
है चिरंतन इस धरा पर मेरे मधुवन की लता।
अपने पावन धाम स्वर कोकिला को ले गई।।
शत-शत नमन वंदन अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि
उदय शंकर चौधरी नादान
9934775009
मुक्तक - नश्वर तन
नश्वर तन है मगर किया कर्म धर्म अमर हो जाता है ।
संघर्ष संयम तप मय जीवन जब गुजर हो जाता है।
जनम लेते करोड़ों जीवन पर लता जैसा होता नहीं।
साध लिया सुर सरस्वती श्री चरन शरण हो जाता है।
श्याम कुंवर भारती।
याद आयेगी लता जी हरदम
अभी तो जाना नहीं था हिन्द को जरूरत थी तुम्हारी।
थोड़ा और साथ देना था संगीत को जरूरत थी तुम्हारी
बैठी थी स्वर साक्षात शारदा कोकिल स्वर तुलना नहीं।
याद आयेगी लता जी हरदम गीत धड़कन थी तुम्हारी।
श्याम कुंवर भारती
स्वर कोकिला लता मंगेशकर को विनम्र श्रद्धांजलि
*
स्वर कोकिला, सुरों की मलिका, जाने गइ कहाँ।
हे संगीत की देवी तुझको, ढूँढे सभी यहाँ।।
*
हम सबके दिल से निकले अब, केवल यहीं दुआ।
सुरों से रौशन तेरा घर हो, चाहे रहे जहाँ।।
*
बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बिजेन्दर बाबू
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