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आज़ादी की लड़ाई में दरभंगा महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह का योगदान

आज़ादी की लड़ाई में दरभंगा महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह का योगदान

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दरभंगा महाराज को जानने के लिए हमें अतीत को जानना होगा। दरभंगा राज की स्थापना 16 वीं सदी के प्रारंभ में मैथिल ब्राह्मणों ने किया। जो बिहार राज्य के मिथिला क्षेत्र में रचा बसा था। इसके संस्थापक खण्डेलवाल वंश के शाण्डिल्य गोत्र के श्री महेश ठाकुर जी थे। श्री महेश ठाकुर और उनके शिष्य रघुनंदन की विद्वता का सारे भारतवर्ष में लोग सम्मान करते थे। उस समय अकबर का सेनापति महाराजा मानसिंह हुआ करता था। दरभंगा राज की स्थापना में मानसिंह अकबर से पर्याप्त धन उन्हें मुहैया करवाया था। इसके पीछे का राज यह था कि 1526 मुगल शासन के आने तक इस क्षेत्र में उस समय भारी अराजकता का माहौल था। तुगलक साम्राज्य अपनी अंतिम कगार पर विनाश के रास्ते खड़ा था। अकबर क्रुर होने के साथ-साथ एक चाटुकार भी था। मिथिला क्षेत्र से करों की नियमित वसुली के लिए वह वहां पर एक राजा को नियुक्त करना चाहता था, जिससे की उस क्षेत्र में भी अपने हिसाब से माहौल बना सके। इसी नियत से अकबर खण्डेलवाल वंश के राज पुरोहित चंद्र पति ठाकुर को दिल्ली बुलाया और उन्हें अपने किसी एक बेटे को वहां का कार्यवाहक के रुप में उनके एक बेटे का नाम पुछा। पुरोहित ने अपने मझिले लड़के महेश ठाकुर का नाम दिया। 1577 में महेश ठाकुर को वहां का भार दिया गया।



महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह पहले भारतीय के रुप में शाही सभासद चुने गए

मिथिला प्राकृतिक सौंदर्य और खेती बाड़ी की दृष्टि से काफी समुन्नत हो चुका था। राज परिवार को इन विदेशियों की नीति अंदर ही अंदर उद्वेलित करता रहा। भारत में फिर ब्रिटिश साम्राज्य का आधिपत्य हो गया ये जानकर आपको हैरानी होगी, की 1873 में ब्रिटिश सरकार में महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह पहले भारतीय के रुप में शाही सभासद चुने गए। जिसमें महाराज ने अंग्रेजों के गलत नियम कानून के प्रति आवाज उठाकर सही तरीके से अंग्रेजों के दायित्वों को निभाने का प्रस्ताव रखकर उसे लागू करवाने का प्रयास किया। जिसका संस्थागत रुप देने के लिए कांग्रेस का विकल्प उन्हें मिला।

कांग्रेस की स्थापना के लिए पहले अधिवेशन के लिए 10 हजार रुपया दान दिया पर उस अधिवेशन में वे बंबई नहीं जा सके। जबकि दूसरे अधिवेशन का खर्चा पुरा महाराज ने दिया और अधिवेशन में भाग भी लिया ‌धीरे धीरे कांग्रेस का प्रभाव देश में बढ़ने लगा।

कांग्रेस की क्रिया क्लाप को देखकर अंग्रेजी सरकार इलाहाबाद में कांग्रेस के अधिवेशन के लिए कोई जगह देने से मना कर दिया। इसे देख महाराज ने इलाहाबाद में कांग्रेस भवन के लिए जमीन खरीदकर कांग्रेस भवन बनाया। अफ्रीका में गांधी जी अंग्रेजों के विरुद्ध अपना आवाज उठाया। और महाराजा से अंग्रेजों के खिलाफ मदद मांगी।

महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह ने गांधी जी और भारत की आज़ादी के लिए हर संभव योगदान दिया। दुर्भाग्यवश 1898 में महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह जी का निधन हो गया। लेकिन भारत की आजादी के लिए जो बीजारोपण उन्होंने किया वो पेड़ फल फूल कर क्रांति का आगाज कर चुका था। महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह जी का योगदान स्वतंत्र भारत के लिए वरदान साबित हुआ। उनके वंशज भी कांग्रेस को समय समय पर मदद करते रहे। उनके योगदानों को कभी भुलाया नहीं जा सकता। ऐसे उदार व्यक्तित्व थे दरभंगा महाराज।
कोटि कोटि नमन। जय महाराजाधिराज।
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उदय शंकर चौधरी नादान
कोलहंटा पटोरी दरभंगा बिहार
9934775009

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