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कोरोना से लड़ने की तैयारी
(कविता)
आप सभी से दोस्तों, विनती है हमारी,
सभी करें, कोरोना से लड़ने की तैयारी।
आज इसकी, तो कल किसकी है बारी?
बड़ी तेजी से फैल रही है, यह बीमारी।
इंतजाम कम पड़ जाते हैं अस्पतालों में,
नजर आ रही है हर जगह यह लाचारी।
सभी को करनी……….
कोरोना कब जाएगा पता नहीं किसी को,
सिमटी सिमटी दिखती है व्यवस्था सारी।
स्वास्थ्य सेवा नाकाफी लगती हर जगह,
कोरोना पड़ रहा है, हर किसी पर भारी।
सबकी हालत एक समान दिख रही जैसे,
क्या अधिकारी और क्या कोई कर्मचारी,?
सभी को करनी………..
मंत्री संतरी भी, सुरक्षित नहीं दिख रहे हैं,
सिर पकड़कर रो रहे, बाजार में व्यापारी।
फिर से रोजगार बंद हो रहे हैं दुनिया में,
घर को लौट रहे हैं गाड़ी भर भर बिहारी।
बड़ी कठिन परीक्षा है जीवन की, साथियों,
गली गली में मची हुई है जैसे मारामारी।
हर किसी को…………..
अपना ख्याल रखें, घर से बाहर न जाएं,
मास्क और दूरी है, अपनी ही जिम्मेवारी।
सैनिटाइजर सबसे बड़ा मददगार है इसमें,
आदेश और निर्देश, मानें अवश्य सरकारी।
कोई भी लक्षण दिखाई दे तो छुपाए नहीं,
सच्चाई को छुपाना ही पड़ जाता है भारी।
हर किसी को……………..
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
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