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तुलसी विवाह गीत भजन आरती | Tulsi Vivah Geet Bhajan Aarti Lyrics Hindi

तुलसी विवाह गीत भजन आरती | Tulsi Vivah Geet Bhajan Aarti Lyrics Hindi

तुलसी विवाह (गीत)
तुलसी समान कोई नहीं है,
हर आंगन की शोभा तुलसी।
शुभ कार्य में इसकी जरूरत,
है जीवन की शोभा तुलसी।
तुलसी समान………..
माला लेकर आते शालिग्राम,
तुलसी उनको करती प्रणाम।
स्वच्छता का प्रतीक है यह,
वन उपवन में शोभा तुलसी।
तुलसी समान………….
शालिग्राम का महकाती मन,
निर्मलता पाती पागल पवन।
तन मन से रोग मिटाती यह,
हर जगह की सुंदरता तुलसी।
तुलसी समान…………
हंसती मुस्कुराती तुलसी रानी,
प्रकृति को भी सुनाती कहानी।
मिलता है शालिग्राम सा साथी,
घर परिवार की आभा तुलसी।
तुलसी समान……….
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


तुलसी पूजन दिवस पर कविता


(कविता)
“तुलसी पूजन दिवस के शुभ अवसर पर आप सभी मित्रों एवं साथियों को ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं एवं अशेष बधाईयां।”

लहराए और मुस्कुराए जहां जहां, तुलसी के सुंदर पात
होती वहां सुख, समृद्धि और आरोग्य की बरसात।
फूलों के साथ पड़ती है, तुलसी पात की भी जरूरत,
कोई इंसान अगर कराना चाहे कहीं पर पूजा पाठ।
लहराए और मुस्कुराए जहां………..

तुलसी औषधीय पौधा है, और हर आंगन की शोभा भी,
जाति और धर्म से ऊपर उठकर, हर कोई मानेगा बात।
किसी देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है तुलसी को,
चाहे गर्म से गर्म दिन हो, अथवा ठंडी से ठंडी रात।
लहराए और मुस्कुराए जहां………….

जंतर मंतर की बात हो, या घेर ले किसी को सर्दी खांसी,
अचानक मन में जग जाता है, तुलसी पात पर विश्वास।
खुद से भी ज्यादा भरोसा लोग तुलसी पात पर करते हैं,
हर बुरे वक्त में, तुलसी निभाती है इंसान का पूरा साथ।
लहराए और मुस्कुराए जहां……

तुलसी को जिस आंगन में मिलता भरपूर मान सम्मान,
वहां पर स्वर्ग छोड़ ईश्वर भी, होना चाहते हैं विराजमान।
तुलसी जहां पर भी रहती है, वहां पर वह शोभा बढ़ा देती,
वह व्यक्ति पवित्र हो जाता, जो लगा ले तुलसी को हाथ।
लहराए और मुस्कुराए जहां……..
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

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