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सामयिक परिवेश छत्तीसगढ़ अध्याय द्वारा दीप महोत्सव का हुआ आयोजन

सामयिक परिवेश छत्तीसगढ़ अध्याय द्वारा दीप महोत्सव का हुआ आयोजन

सामयिक परिवेश छत्तीसगढ अध्याय के पटल पर दीपावली के उपलक्ष्य में दीप महोत्सव दिनाँक 09/11/21 को दोपहर 2 बजे से ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसका विषय था "दीपावली"।
इस आयोजन में सामयिक परिवेश हिंदी पत्रिका के प्रधान संपादक सह अध्यक्ष- ममता मेहरोत्रा जी, संपादक एवं संयोजक- संजीव कुमार मुकेश जी, राष्ट्रीय सह संपादक सह सलाहकार एवं कार्यक्रम के सभाध्यक्ष श्याम कुँवर भारती जी की उपस्थिति में माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए सामयिक परिवेश छत्तीसगढ़ अध्याय पत्रिका के उप संपादक-द्रौपदी साहू के द्वारा सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी गई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अंजनी कुमार सुधाकर जी के द्वारा प्रेरक उद्बोधन के साथ-साथ कविता "मिट्टी का दियना" की प्रस्तुति दी गई। जिसमें उन्होंने कहा- "मिट्टी में रचता बसता जीवन, मानव का बचपन का संसार। सौंधी मिट्टी का लोंदा लेता है, कुम्हार चाक पर नव आकार। । तत्पश्चात कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि-नवेद रजा दुर्गवी के द्वारा सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देते हुए सुंदर उद्बोधन के साथ-साथ ग़ज़ल - यहीं शान भारत की है जगमगाएँ, सभी घर हो रोशन यही हैं दुआएँ, की बेहतरीन प्रस्तुति दी गई।
दिलीप कुमार 'टिकरिहा' के द्वारा छत्तीसगढ़ के लोकगीत- सुआ गीत- आगे देवारी मोर ओरी-होरी दीदी, दिया ल तैं हा मढ़ा ले। तैं मढ़ा ले ओ दीदी मोर, जगमग दियना जलाले की मनमोहक प्रस्तुति ने सबको झूमने पर मजबूर कर दिया। दिलीप कुमार पटेल के द्वारा आ गया फिर झूमकर दिवाली, यह दिवाली है सुंदर खुशियों वाली। डॉक्टर सत्येंद्र शर्मा के द्वारा दोहावली- अंधकार सब मिट गया, कहां अमावस रात। भर-भर बाँटी जा रही थाली भर सौगात। नम्रता जी के द्वारा कुरीति, अनीति की
पटाखे बनाएँ, आओ‌ दिवाली खुशी से मनाएँ।
जुगेशचंद्र दास ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा- दीप जलाया न घर सजाया, बस एक काम कर दिया कि इस दिवाली शहीदों के नाम कर दिया। डॉ कमलेश प्रसाद शर्मा बाबू के द्वारा कोने-कोने में भारत के देखो खुशियाँ छाई है रोशनी कि नई सुबह ले फिर दिवाली आई है। लता शर्मा के द्वारा 'बाल मन की खुशी इत्ती सी, कपड़े नहीं पटाखों की लड़ी। भाई-बहन, दोस्त-सखा मिल खुशी में झूम मनाते दिवाली। कृष्णा पटेल के द्वारा साँसो के ताने बानों से, जाना सबको पार है। खुशियाँ ही इस जीवन में, जीने का आधार है। । खेमराज साहू के द्वारा आज शुभ दिन दीपावली आया, आज अमावस की काली रात है। दीप की रोशनी से रोशन हुआ, मानो धरती में सितारों की बारात है। अरुणा साहू के द्वारा रागिनीमय जिंदगी में, एक दीपक बारते। रंध्रमय तन बाँसुरी में, सर्वर सभी हैं नाचते। सरोज साव कमल के द्वारा समता दीपक भाव, अमीरी, गरीबी घाव, मिटाए हैं अलगाव, फैलाता प्रकाश को। मंगल कामना कर, बढ़ाए प्रेम भू पर, रखता निज को चर, मेटता हताश को। कवि अशोक गोयल पिलखुवा राष्ट्रीय सूचना संचार एवम् आईटी प्रमुख सामयिक परिवेश अध्याय के द्वारा स्नेह दीपक की कतारें, जगमगाती हो हृदय में, हो प्रभात संवेदनाओं की, तभी दीपावली है। की बेहतरीन प्रस्तुति दी गई।
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सभी प्रतिभागियों के द्वारा सुमधुर स्वर में प्रस्तुति दी गई जिससे सभी का मन प्रफुल्लित हो उठा। शुरू से अंत तक कार्यक्रम का संचालन लता शर्मा, जांजगीर के द्वारा काव्यात्मक एवं रोचक ढंग से किया गया जिससे सभी अंत तक जुड़े रहे। कार्यक्रम के अंत‌ में सामयिक परिवेश छत्तीसगढ़ अध्याय के राज्य प्रभारी सरोज साव कमल के द्वारा कार्यक्रम की समीक्षात्मक उद्बोधन के साथ-साथ आभार प्रदर्शन किया गया।
रिपोर्ट : द्रोपदी साहु, छत्तीसगढ़

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