परिवर्तन पर कविता, परिवर्तन पर शायरी - बदलाव पर शायरी Parivartan Shayari
परिवर्तन
विधा कविता
जो तू बदल रहा है ।
तेरे साथ सब कुछ बदल रहा है।।
कुछ को तू देख पा रहा है।
कुछ तुझे नहीं देख पा रहा है।।
परिवर्तन हो रहा है।
होने दे।।
उस पर तेरा कोई जोर नहीं है।
तू स्वयं भी उसी परिवर्तन का अंग है।।
कभी बचपन कभी जवानी।
आज वृद्धावस्था की ओर जा रहा है।।
परिवर्तन की ही बयार है ।
जो हमको और तुमको लेकर साथ-साथ चल रहा है।।
यूं तो देखने में लग रहा है कि।
दोनों अलग-अलग धार की ओर जा रहे हैं ।।
पर जरा ध्यान से देख ।
वह परिवर्तन होना भी जरूरी है ।।
तभी तो आज बचपन से।
जवानी की ओर अग्रसर तूं हो रहा है ।।
तू स्वयं भी उसी परिवर्तन की।
डोर की ओर खींचा जा रहा है।।
परिवर्तन समय में हो रहा है।
हर क्षण में हो रहा है ।।
परिवर्तन की बयार रामायण में ने देखी।
महाभारत में भी देखी ।।
और पूर्वजों से लेकर हम सब।
देख रहे हैं ।।
प्रकृति ने भी देखी देवता।
ने भी देखी ।।
सब इसी की चारों ओर ।
चल रहे हैं ।।
इस भौगोलिक सांस्कृतिक।
परिदृश्य में सब कुछ परिवर्तित हो रहा है।।
जो हम देख रहे हैं ।
वह इसी का खेल चल रहा है।।
जो ना चाह कर भी ।
इसकी ओर किसी जा रहे हैं।।
यही तो राम को भी परिवर्तन।
की ओर ले जा रहा है।।।
राम शरण सेठ
छटहाॅं मिर्जापुर उत्तर प्रदेश
स्वरचित मौलिक
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