हरिवंश राय बच्चन की जयंती पर कविता Harivansh Rai Bachchan Jayanti Poem In Hindi
हरिवंश राय बच्चन
(कविता)
“पावन जयंती पर कविवर हरिवंश राय बच्चन जी को कोटि कोटि नमन।"
रूठकर आपने मूंद ली आंखें,
चिर निद्रा का क्यों पी हाला?
आपकी याद में जाग रही है,
मान्यवर, आपकी मधुशाला।
सिर मधुकलश, नाचती साकी,
पहन, गले मोती की माला।
रूठकर आपने………
आपको पढ़, कलम थामी मैंने,
थोड़ा सा हमें भी, दें उजाला।
आशीष अपना बनाएं कविवर,
खुल सकता है कोई भी ताला।
मैं तो आपका एक उपासक हूं,
क्यों जला रही है मुझे ज्वाला?
रूठकर आपने………..
युग का जुआ भी दिखाया आपने,
मन में विश्वास जग ने है पाला।
आपके अंदाज अलग, बात अलग,
डरता रहता था, हर बादल काला।
अब भी मधु की कोई कमी नहीं,
उछल रहा, बहता हुआ हर नाला।
रूठकर आपने……………..
हरिवंश राय बच्चन नाम सुनकर,
हर कलमकार हो जाता मतवाला।
अमित जी जब कविता पढ़ते हैं,
झूम उठती है आपकी मधुशाला।
कृपा आपकी मांग रहा हूं थोड़ी मैं,
प्रदान करें अपना आशीष निराला।
रूठकर आपने………..
साहित्य जगत यादों में बसाता है,
मिला नहीं, आप जैसा दिलवाला।
हर कलमकार आपको मानता है,
खींचकर ले जाती उसे मधुशाला।
आप एकबार फिर पधारें जग में,
सुधा बन जाएगा प्याला का हाला।
रूठकर आपने……………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
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