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सरदार वल्लभ भाई पटेल पर निबंध | Essay on Sardar Vallabh Bhai Patel in Hindi

सरदार वल्लभ भाई पटेल पर निबंध | Essay on Sardar Vallabh Bhai Patel in Hindi

सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म एक किसान परिवार में हुआ। यह चार भाई थे। सभी लोगों की भांति इनके जीवन के भी कुछ लक्ष्य एवं उद्देश्य दें। बचपन ही से सरदार वल्लभ भाई पटेल को उच्च शिक्षा प्राप्त करने की परम इच्छा थी। वह चाहते थे कि इंग्लैंड जाकरउच्च शिक्षा प्राप्त करें। लेकिन इनके जीवन में कठिनाइयां अधिक थीं इसलिए यह कार्य इतना आसान भी नहीं था। जिसके कारण इन्हें शिक्षा प्राप्त करने में अत्यधिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। घर की जिम्मेदारी और पैसों की कमी इन सभी के दरम्यान वे धीरे-धीरे अपने उद्देश्य की ओर बढ़ते गए। शुरू शुरू में परिवार तथा समाज के लोग सरदार वल्लभ भाई पटेल को नाकारा और बेकार समझने लगे थे। लोगों को ऐसा लगता था कि पटेल कुछ नहीं कर पाएंगे और सारा जीवन ऐसे ही अपना समय व्यर्थ व्यतीत कर देंगे। परंतु ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ और 22 साल की आयु में सरदार पटेल ने मेट्रिक की पढाई पूरी कर ली और कई वर्षों तक परिवार और समाज से दूर रहकर अपनी वकालत की शिक्षा प्राप्त की। अपने जीवन के इस महत्वपूर्ण सफलता को प्राप्त करने हेतु उन्हें उधार पुस्तकें भी लेनी पड़ती थी। इसी बीच इन्होने नौकरी भी कर ली और अपने परिवार का पालन-पोषण भी करते रहें। एक आम इंसान की तरह जीवन में कठिनायों से संघर्ष करते हुए आगे बढ़ते रहें। शायद उन्हें मालूम नहीं था कि आगे चलकर ये देश के लोह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल कहलाने वाले हैं।

सरदार पटेल का जन्म, जीवन परिचय | सरदार वल्लभ भाई पटेल जयंती 2021

सरदार पटेल का असली नाम वल्लभभाई झावेरभाई पटेल था परंतु वे सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम से ही अधिक लोकप्रिय थे। सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात राज्य के नाडियाद स्थान पर एक किसान परिवार में हुआ था। पटेल के पिता का नाम श्री झवेरभाई तथा माता का नाम लाडबा देवी था। सरदार पटेल चार भाई थे, वे अपने तीन भाई, बहनों में सबसे छोटे और चौथे स्थान पर थे। सरदार पटेल एक महान स्वतंत्रता सेनानी तथा स्वतंत्र भारत के पहले गृहमंत्री भी थे। स्वतंत्रता संग्राम में सरदार पटेल का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसी कारण से पटेल को भारत का लौह पुरुष के नाम से भी संबोधित किया जाता है।

सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रारंभिक शिक्षा

सरदार वल्लभ भाई पटेल की शिक्षा प्राप्त करने का मुख्य साधन स्वाध्याय था। वह लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई पूरी की और उसके पश्चात भारत आकर अहमदाबाद में अपनी वकालत शुरू की।

स्वतंत्रता आंदोलन तथा संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान

सरदार वल्लभ भाई पटेल ने गांधी जी से प्रेरणा लेकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। सरदार पटेल ने इस लड़ाई में अपना प्रथम योगदान खेड़ा के संघर्ष में दिया। उस समय खेड़ा क्षेत्र भीषण सूखे की चपेट में था और वहां के किसान अंग्रेज सरकार से कर में छूट देने की मांग कर रहे थे। लेकिन अंग्रेज सरकार ने इस मांग को स्वीकार करने से साफ़ इंकार कर दिया। इस पर महात्मा गांधी, सरदार पटेल, और दूसरे लोगों ने खेड़ा क्षेत्र के किसानों का नेतृत्व किया और उन्हें कर न देने के लिए प्रेरित और संगठित किया। अंततः अंग्रेजी सरकार को झुकना ही पड़ा और इस तरह से किसानों से कर नहीं लिया गया। सुप्रसिद्ध भारतीय स्वतंत्रता सेनानी सरदार वल्लभ भाई पटेल ने कई प्रकार के स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में हिस्सा लिया। उन्हें मालूम था कि स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए हम सबको अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना होगा। इस तरह से भारत के आम लोगों को प्रेरित करने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल आगे आएं। उनके इस प्रयास के फलस्वरूप बड़ी संख्या में लोग स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने के लिए आगे आये।

क्यों पड़ा नाम सरदार पटेल

वल्लभ भाई पटेल को सरदार नाम बारडोली सत्याग्रह के पश्चात मिला। उस समय बारडोली गांव में सशक्त सत्याग्रह करने के हेतु पटेल को प्रथम बारडोली का सरदार कहा गया था। इसके बाद से सरदार की उपाधि उनके नाम के साथ हमेशा के लिए जुड़ गया।
भारत के स्वतंत्रता के पश्चात अधिकांशतः प्रांतीय समितियां सरदार वल्लभ भाई पटेल के पक्ष में थीं। किन्तु गांधी जी की इच्छा थी कि जवाहर लाल नेहरू ही प्रधानमंत्री बने इसलिए सरदार पटेल ने स्वयं को प्रधानमंत्री पद से अलग ही रखा और जवाहर लाल नेहरू को अपना समर्थन दिया। आगे चलकर सरदार वल्लभ भाई को उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री बनाया गया। जिसके पश्चात उनकी सर्वप्रथम प्राथमिकता थी देसी रियासतों को भारत में सम्मिलित करना। इस महत्वपूर्ण कार्य को उन्होंने बिना किसी युद्ध के शांतिपूर्ण ढंग से पूर्ण किया। लेकिन हैदराबाद के ऑपरेशन पोलो ( Operation Polo ) के लिए सेना भेजनी ही पड़ी थी।
स्वतंत्र भारत के एकीकरण करने में सरदार वल्लभ भाई पटेल का योगदान महत्वपूर्ण है इसी कारण से उन्हें भारत का लौह पुरुष कहा जाता है। 15 दिसंबर 1950 को उनकी मृत्यु हो गई और इस तरह लौह पुरुष इस संसार से विदा हो गए।

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