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बिहार हिंदी साहित्य -सम्मेलन के अध्यक्ष डाॅ अनिल सुलभ का स्वागत डाँ महेन्द्र मधुकर के आवास पर अंग वस्त्र एवं पुष्पहार से किया गया

मुजफ्फरपुर शहर में आज बिहार हिंदी साहित्य-सम्मेलन के अध्यक्ष डाॅ अनिल सुलभ का स्वागत डाँ महेन्द्र मधुकर के आवास पर अंग वस्त्र एवं पुष्पहार से किया गया।

मिठनपुरा, पशुपति लेन स्थित कवि-कथाकार डॉ महेंद्र मधुकर के आवास पर बुधवार को एक साहित्यिक गोष्ठी सम्मान समारोह हुआ। इसकी अध्यक्षता डॉ. महेंद्र मधुकर ने की। मौके पर बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ को दूसरी बार निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाने पर सम्मानित किया गया। उन्हें अंग वस्त्र एवं पुष्पहार से सम्मानित किया गया। मौके पर डॉ महेंद्र मधुकर ने कहा कि हिंदी साहित्य के लिए आज का दिन उपलब्धि भरा है।
बिहार हिंदी साहित्य-सम्मेलन के अध्यक्ष डाॅ अनिल सुलभ का स्वागत
बिहार हिंदी साहित्य-सम्मेलन के अध्यक्ष डाॅ अनिल सुलभ का स्वागत
हमारे बीच बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के यशस्वी और कर्मठ अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ का मुजफ्फरपुर में शुभागमन अतिशय आह्लादकरी है।
उन्होंने कहा कि डाॅ
सुलभ हिंदी भाषा एवं साहित्य के सच्चे प्रहरी हैं।आप पूरे बिहार में हिंदी के प्रचार-प्रसार में अपना उत्कृष्ट योगदान दे रहे हैं। 
इस गोष्ठी में मुजफ्फरपुर जिला के हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रधानमंत्री उदय नारायण सिंह , संयुक्त मंत्री प्रवक्ता गणेश प्रसाद सिंह वैशाली हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष शशिभूषण कुमार, मानवाधिकार के कार्यकर्ता आनंद मोहन झा ,अमित कुमार सिंह आदि मौजूद थे।
साथ ही इस अवसर पर डॉ महेंद्र मधुकर ने डॉक्टर अनिल सुलभ को अपनी किताबें भेंट की जिसमें उपन्यास त्र्यंवकम् यजामहे , कसमे देवाय,ब्रह्म बाबा , काव्य संग्रह शिप्रा ।इस अवसर पर डॉ मधुकर ले अपना एक गीत भी सुनाया -'बूंद बूंद होकर भी ताल में नहीं है मन, बँधा हुआ है पर जाल में नहीं है मन।

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