ज़ख़्म शायरी २ लाइन - Zakham Shayari 2 Line - ज़ख़्मे मोहब्बत ज़्ख़्मी दिल शेरो शायरी
ज़ख़्म जो तूने दिए मुश्किल है कि भर पाएं हम।
अब और क्या किसी से मरासिम बढ़ाएं हम।
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मैं ज़ख़्म खा के मोहब्बत में मर गया होता,
तेरी वफ़ा ने अगर साथ ना दिया होता।
●
इश्क़ में ज़ख़्म मिला ज़ख़्म भी नासूर हुआ,
जान देने के लिए दिल मेरा मजबूर हुआ।
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हज़ारों ज़ख़्म मेरे दिल के ज़ख़्म में हैं छुपे,
तीर कितने ही लगे इश्क़ के ज़माने में।
अब और क्या किसी से मरासिम बढ़ाएं हम।
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मैं ज़ख़्म खा के मोहब्बत में मर गया होता,
तेरी वफ़ा ने अगर साथ ना दिया होता।
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इश्क़ में ज़ख़्म मिला ज़ख़्म भी नासूर हुआ,
जान देने के लिए दिल मेरा मजबूर हुआ।
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हज़ारों ज़ख़्म मेरे दिल के ज़ख़्म में हैं छुपे,
तीर कितने ही लगे इश्क़ के ज़माने में।
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ज़ख़्म पे ज़ख़्म खाए जा, हर तीर दिल पे सजाए जा,
आह न कर लबों को सी, इश्क़ में दिल लगाए जा।
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इस से पहले कि ज़ख़्म भर जाएँ।
काश ऐसा हो हम ही मर जाएँ।
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ज़ख़्म-दर-ज़ख़्म मोहब्बत में हुए हम बदनाम।
अश्क-दर-अश्क तड़पने रहें अरमान मेरे।
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इश्क़ के ज़ख़्म दर्द-ए-ज़िंदगी ने भर दिए।
हमने जान ओ दिल सभी, उस पर निसार कर दिए।
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ज़ख़्म इतने मिले मोहब्बत में,
जिसका मरहम नहीं ज़माने में।
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ज़मीं का ज़ख़्म समंदर से भर नहीं सकता।
हमारा दिल कभी दुनिया से डर नहीं सकता।
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ज़ख़्म खामोश हो गया है अभी,
तुम जो आए तो शादमानी है।
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ज़ख़्म गिनता हूँ रात भर तन्हा,
याद करताहूँ रात भर तुझको।
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रूह की अंगराई में रखते हैं तेरे ज़ख़्म,
तुझको चाहा है कभी और कभी पूजा है।
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दिलों में ज़ख़्म और हंसी लब पर,
नाम है इसका ही जिंदगी ऐ दोस्तों।
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दाग़ उल्फ़त ने दिए ज़ख़्म मोहब्बत से मिले
ज़ख़्म हमको जो मिले, तेरी मोहब्बत से मिले
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दूसरों के ज़ख़्म पर हंसना कोई अच्छा नहीं,
ज़ख़्म कब किसको मिले ये जानता कोई नहीं।
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ज़ख़्म खा कर जो मुस्कुराती
ये तो बस ज़िन्दगी हमारी है।
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तुम ही कहो कि भला हम किसे दिखाएँ ज़ख़्म
की इस वीराने में अब इतनी रात गए कौन जागता होगा।
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जब लगें ज़ख़्म तो मरहम को बुला ली जाए,
उसकी गलियों में चलो, ताज़ी हवा ली जाए।
जखमी दिल शायरी - दिल टूटने का दर्द शायरी - मोहब्बत में दिल टूटने वाली शायरी
ग़ज़ल
जख्म जो तूने दिए मुश्किल है कि भर पाएं हम।
अब और क्या किसी से मरासिम बढ़ाएं हम।
ताल्लुकात, रिश्ते,रकीब फकत मतलब के,
सब दर्द जो दिए अपनों ने, किसे दिखाएं हम।
बेमुरव्वत फरेबी पत्थर दिल दुनियां में,
खुद ही दिल की मुहब्बत कैसे निभाएं हम।
सिसक रही हसरतें मुरझा के फूल सी,
करे ये ना वफा,कैसे दिल को समझाएं हम।
छुपे खंजर आस्तीनों में जमाने की,
चाक है जिस्म कहां कहां मरहम लगाएं हम।
एहसान नहीं चाहती रूह किसी का,
ख़ुद के शानो पे खुद को ढोकर कहां दफनाएं हम।
हिमसी नेह जयबपा प्रवक्ता तीर्थांकर महावीर विश्व विद्यालय मुरादाबाद यूपी मुरादाबाद
जख्मी दिल शायरी हिंदी | जख्मी दिल शायरी Zakhmi Dil Shayari
ग़ज़ल - मुकाम आप ही है
ज़ख्मी मेरे दिल का मुकाम आप ही है।
डगमगाते कदमों का विश्राम आप ही है।
दिल ओ जान लूटा देंगे तुम्हारे प्यार में।
उमड़ती उमर की शूबह और शाम आप ही है।
हुस्न और शबाब की मिसाल नहीं मिलेगी।
नफरतों मे प्यार का पैगाम आप ही है।
मुझसे ज्यादा आपको प्यार कौन करेगा।
मुझसे दिल लगाइए मेरा सलाम आप ही है।
पूछेगा मुझसे मौला मै आपको ही मांग लूंगा
थकी मेरी जिंदगी का आराम आप ही है।
आपके बिना यार मेरी दुनिया बिरान है।
आंसू भरी मेरी तन्हाई का विराम आप ही है।
ज़ख्मी मेरे दिल का मुकाम आप ही है।
श्याम कुंवर भारती (राजभर )
बोकारो ,झारखण्ड
मोब-9955509286
ज़ख्मी मेरे दिल का मुकाम आप ही है।
डगमगाते कदमों का विश्राम आप ही है।
दिल ओ जान लूटा देंगे तुम्हारे प्यार में।
उमड़ती उमर की शूबह और शाम आप ही है।
हुस्न और शबाब की मिसाल नहीं मिलेगी।
नफरतों मे प्यार का पैगाम आप ही है।
मुझसे ज्यादा आपको प्यार कौन करेगा।
मुझसे दिल लगाइए मेरा सलाम आप ही है।
पूछेगा मुझसे मौला मै आपको ही मांग लूंगा
थकी मेरी जिंदगी का आराम आप ही है।
आपके बिना यार मेरी दुनिया बिरान है।
आंसू भरी मेरी तन्हाई का विराम आप ही है।
ज़ख्मी मेरे दिल का मुकाम आप ही है।
श्याम कुंवर भारती (राजभर )
बोकारो ,झारखण्ड
मोब-9955509286
दिल टूट जाने वाली शायरी - प्यार में दिल टूटने वाली शायरी
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