Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

स्याही हूँ बोलती हूँ स्याही पर कविता | झूठ सच और सत्य पर शायरी

सच्चाई और ईमान पर शायरी | सत्य की जीत पर शायरी

love shayari photo-sach aur jhooth shayari photo hd

स्याही हूँ, बोलती हूँ
अल्फ़ाज़ को अपने साज़ में घोलती हूँ।
हाँ, जी
स्याही हूँ, बोलती हूँ।
काली हूँ,
मतवाली हूँ।
सच और झूठ को तोलती हूँ।
हाँ जी, स्याही हूँ, बोलती हूँ।

स्याही पर शायरी | झूठ सच पर शायरी

कभी अश्कों में घुल जाती हूँ।
कभी मुस्कान बन छा जाती हूँ।
धुँधले पड़ जाएँ हर्फ़ तो क्या?
स्याही की छाप छोड़ जाती हूँ।

जिंदगी का सच शायरी

ख़ुद जो बिखरुँ तो दाग़ बन जाऊँ।
लफ़्ज़ों में तराशा तो आग बन जाऊँ।
शोला भी मुझमें, शबनम भी मुझमें,
कभी ख़ुश्क तो कभी सैराब बन जाऊँ।
ज़मीर की आवाज़ हूँ मैं।
अंजाम नहीं, आग़ाज़ हूँ मैं।
हर सफ़हे पे है ज़िक्र मेरा,
स्याही हूँ, हसीन अंदाज़ हूँ मैं।
सुनो,
मेरा दर्द भला कौन समझता है।
कोई लिखता है तो कोई पढ़ता है।
तभी तो,
किसी के ख़्वाब की ताबीर हूँ,
किसी की टूटी ज़ंजीर हूँ।
समझो तो क़िस्मत बुलन्दी का
नहीं तो यादों की तस्वीर हूँ।
हाँ जी हाँ,
दिल के बंद लिफ़ाफ़े खोलती हूँ।
हाँ जी, स्याही हूँ, बोलती हूँ।
स्याही हूँ, बोलती हूँ।
ख़ुश्क - Dry, सूखा
सैराब - fulfilled , भरा हुआ
सफ़हे - pages, पन्ना
Nilofar Farooqui Tauseef
Fb, IG-writernilofar

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ