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हारून रशीद का वाकया | The story of Harun al-Rashid Rashid

 Harun Al-Rashid series cast

कौन थे हारून रशीद ?

सफ़वान और हारुन रशीद

सफ़वान, मदीना में ट्रांसपोर्टर था यानी सामान ढोने के लिए ऊँट किराए पर देता था, और इसका यह कारोबार इतना बड़ा था कि सरकार तक इस से किराए पर ऊँट लेती थी।

एक बार हारुन रशीद ने हज पर मक्का जाने के लिए सफ़वान से ऊँट किराए पर लिए जिसकी ख़बर इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम को हो गई।

सफ़वान और हारुन रशीद का वाकया

सफ़वान इमाम अलैहिस्सलाम का शिया था, इमाम ने सफ़वान से पूछा कि क्या तुम ने हारुन को ऊँट किराए पर दिए हैं। ?

सफ़वान ने जवाब दिया: हाँ मौला।

इमाम अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया: तुमने ज़ालिम को ऊँट किराए पर क्यों दिए। ?

सफ़वान ने कहा: मौला मैंने मुक़द्दस सफ़र यानी हज के लिए दिए हैं, किसी गुनाह से भरे सफ़र के लिए नहीं दिए।

इमाम अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया कि क्या तुमने किराए के पैसे ले लिए हैं। ?

सफ़वान ने कहा नहीं! वापसी पर लूंगा।

इमाम अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया कि: अपने दिल में झांक कर देखो, क्या तुम्हारे दिल में यह आरज़ू नहीं है कि हारुन को हज से वापसी तक कुछ ना हो और यह ज़िंदा रहे ताकि मेरा किराया दे दे।?

सफ़वान ने कहा: हाँ मौला ऐसा ही है।

इमाम अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया कि: तुम इतनी ही मिक़दार में ज़ालिम की बक़ा पर राज़ी हो और गुनाहगार हो।

सफ़वान यह सुन कर बाहर आया और अपने सारे ऊँट और सामान बेच कर पल भर में सारा धंधा ख़त्म कर दिया और हारुन से किया गया एग्रीमेंट ख़त्म कर दिया।

(सच्ची कहानियां, उस्ताद शहीद मुतहरी, पेज 108-109)

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