फूलों के बगीचे पर शायरी | मेरी प्यारी बगिया कविता
Mere Bagiya Ke Phool Shayari Hindi
मेरी बगिया
मेरी बगिया के फूल, कभी नहीं मुरझाना,
सदा हंसते रहना, कुछ भी सोचे जमाना।
एक ऋतु आए, एक ऋतु जाए दुनिया में,
बेईमान मौसम से तू, कभी नहीं घबराना।
मेरी बगिया के फूल…
मेरी बगिया मुझको, लगती है बड़ी प्यारी,
बड़े प्यार से देखती, इसको दुनिया सारी।
सूरज को पसंद है, रोज कली का खिलना,
चांद से सीखते रहना, घूंघट में मुस्काना।
मेरी बगिया के फूल…
मेरी बगिया के फूल, कभी नहीं मुरझाना,
सदा हंसते रहना, कुछ भी सोचे जमाना।
एक ऋतु आए, एक ऋतु जाए दुनिया में,
बेईमान मौसम से तू, कभी नहीं घबराना।
मेरी बगिया के फूल…
मेरी बगिया मुझको, लगती है बड़ी प्यारी,
बड़े प्यार से देखती, इसको दुनिया सारी।
सूरज को पसंद है, रोज कली का खिलना,
चांद से सीखते रहना, घूंघट में मुस्काना।
मेरी बगिया के फूल…
Mere Aangan Ki Bagiya Ke Phool
मेरी बगिया मेरी जिंदगी, और है सपना,
जो भी करता प्यार, लगता मुझे अपना।
हर रात, ओस की बूंदें इसे नहलाती हैं,
पागल पवन सिखाती, प्यार से लहराना।
मेरी बगिया के फूल…
मेरी बगिया है, इस दुनिया में निराली,
हर फूल की सुगंध, होती बड़ी मतवाली।
लूट जाती है दुनिया, एक मुस्कान पर,
हर तितली चाहती है, सदा गले लगाना।
मेरी बगिया के फूल…
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार नासिक (महाराष्ट्र)
जो भी करता प्यार, लगता मुझे अपना।
हर रात, ओस की बूंदें इसे नहलाती हैं,
पागल पवन सिखाती, प्यार से लहराना।
मेरी बगिया के फूल…
मेरी बगिया है, इस दुनिया में निराली,
हर फूल की सुगंध, होती बड़ी मतवाली।
लूट जाती है दुनिया, एक मुस्कान पर,
हर तितली चाहती है, सदा गले लगाना।
मेरी बगिया के फूल…
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार नासिक (महाराष्ट्र)
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