प्यार निभाने की शायरी | प्यार निभाने वाली शायरी
उम्र भर साथ निभाने की शायरी
ग़ज़ल
आप जैसा दिलसिताँ हो दूसरा मुमकिन नहीं
झूठ बोले जानेमन यह आईना मुमकिन नहीं
टूट जाए अपना अब यह वास्ता मुमकिन नहीं
आपसे मिल कर बिछड़ना बाख़ुदा मुमकिन नहीं
भूल जाएँ ख़ुद को हम ऐसा तो मुमकिन है मगर
भूल जाएँ आप को जान ए वफ़ा मुमकिन नहीं
क्या करेंगे ज़िन्दगी का हम सनम बतलाइए
शहरे दिल में आप के जब आसरा मुमकिन नहीं
ख़त्म हो जाए यहीं यह सिलसिला मुमकिन नहीं
हो गयी है आपकी आ़दत सी हमको बाख़ुदा
आपके बिन शादहो दिल दिलरुबा मुमकिन नहीं
अज़्मे मोह्कम ले के जो बढ़ते हैं मंज़िल की तरफ़
रोक पाए कोई उनका रास्ता मुमकिन नहीं
लाख हों अम्बार ख़ुशियों के जहाँ में ऐ फ़राज़
ज़िन्दगी में हो न ग़म से सामना मुमकिन नहीं
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसाना मुरादाबाद
आप जैसा दिलसिताँ हो दूसरा मुमकिन नहीं
झूठ बोले जानेमन यह आईना मुमकिन नहीं
टूट जाए अपना अब यह वास्ता मुमकिन नहीं
आपसे मिल कर बिछड़ना बाख़ुदा मुमकिन नहीं
भूल जाएँ ख़ुद को हम ऐसा तो मुमकिन है मगर
भूल जाएँ आप को जान ए वफ़ा मुमकिन नहीं
क्या करेंगे ज़िन्दगी का हम सनम बतलाइए
शहरे दिल में आप के जब आसरा मुमकिन नहीं
प्यार में मर मिटने की शायरी
प्यार तो परवान चढ़कर ही रहेगा एक दिनख़त्म हो जाए यहीं यह सिलसिला मुमकिन नहीं
हो गयी है आपकी आ़दत सी हमको बाख़ुदा
आपके बिन शादहो दिल दिलरुबा मुमकिन नहीं
अज़्मे मोह्कम ले के जो बढ़ते हैं मंज़िल की तरफ़
रोक पाए कोई उनका रास्ता मुमकिन नहीं
लाख हों अम्बार ख़ुशियों के जहाँ में ऐ फ़राज़
ज़िन्दगी में हो न ग़म से सामना मुमकिन नहीं
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसाना मुरादाबाद
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