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Hindi poems for kids-Short poem in hindi-Best poem in hindi

चार चौपाई | चौपाई किसे कहते हैं | दोहा सोरठा चौपाई के उदाहरण

चौपाई

आशा
कभी किसी से मत कर आशा।
मिलती जीवन यहाँ निराशा।।
देना तुम नेकी की शिक्षा ।
पूरी होगी तेरी दीक्षा।।

Short Poem In Hindi

आशा की किरणें जब आये।
वो फिर तेरा दिल बहलाये।।
रोज सबेरे उठ तुम जाना।
कर्म करो फिर तुम रोजाना।।

Best Poem in Hindi

मातु पिता की आशा बनना।
उनकी खुशियों खातिर तनना।।
वो होते है भगवन जैसे ।
क्षणिक सदा होते हैं पैसे।।
व्यंजना आनंद"आनंद "
आपका दिन मंगलमय हो

चौपाई छंद

सृजन शब्द -ईश्वर
आओ द्वारे मेरे दाता।
तुमसे है जन्मों का नाता।।
ईश्वर से ही जीवन सारा।
लगता मुझको सबसे प्यारा।।

कण-कण देखो ईश्वर होते ।
निर्मल ही भावों को बोते।।
उनकी करुणा देखो फैली।
बहती उनकी धारा शैली।।

आत्म ज्ञान देना अब प्रभुवर।
कण-कण में बैठो अब हरहर ।।
तेरे सिवा न कोई दूजा।
तेरे से ही सारी पूजा ।।

दे आनंद मुझे हे दाता ।
तुम ही रहते सबके त्राता।।
रोम-रोम में ईश समाएँ ।
तुमने ही तो भाव जगाएँ।।

भाव भरे है हृद में मेरे।
जिसमें हैं सिर्फ रूप तेरे।।
मुझको तो बस तुझको पाना।
तुझको तो है इक दिन आना।।
व्यंजना आनंद"मिथ्या "

दोहा मुक्तक

प्रगति
प्रगति वहीं होती सुनो, जहाँ लगे है जोर।
हर इक नर के भाव से,होती है फिर भोर।।
बड़े जतन से तू लगा,अपनी पूरी जान,
तभी सफल हम कर सकें, चहूँ प्रगति का शोर।।

नारी पूजा हो जहाँ, भारत उसका नाम।
प्रगति उसी की हो रही,मिलकर करते काम।।
दोनों की ही सोच से,छाई खुशी तरंग।
सत्कर्मों से है रहा,भारत भी इक धाम।।

देश तभी जागे यहाँ,जब नेता हो संग।
उनको है अब चेतना,रखना सुंदर ढंग।।
उनके सतत प्रसास से,भारत का हो मान,
तभी कहीं फिर भर सके, सुंदर प्यारे रंग।।
व्यंजना आनंद "मिथ्या"

चौपाई

कहानी
देख कहानी में थी दुनिया ।
जिसमें थी वह प्यारी मुनिया ।।
जन्म कथा से दिखता रोना ।
उस जीवन में उसका खोना ।।

दर्द भरी थी गाथा तेरी ।
सहो सिखाती माँ थी मेरी।।
अपने अरमानो को घोटा ।
इच्छाओं को कर दी छोटा ।।

भाव किए जैसे उड़ने के ।
राह दिखाए जग मुड़ने के ।।
बढ़े पैर को सबने रोका ।
कदम कदम पर सबने टोका ।।

यही कहानी में सब नारी ।
बने आज देखों बेचारी ।।
अब उड़ने दो उसे गगन में ।
रहने दो अब यहाँ मगन में ।।
व्यंजना आनंद "मिथ्या "

विधा- आधार छंद -लावणी मुक्तक
(30 मात्रा, मापनीमुक्त मात्रिक)
विधान- 30 मात्रा, 16-14 पर यति, अंत में वाचिक

वृद्धा आश्रम

हैं माता पिता बोझ देखो,
कैसे बदले यह धागे ।
वृद्धाआश्रम में छोड़ उन्हें,
जिम्मेदारी से भागे।
जब आई पारी बच्चों की,
धैर्य नहीं वह दिखलाते ।
भरी स्वार्थ में सब औलादे,
समझे न किसी को आगे ।।

है अजीब रिश्ता अब देखो,
सब आए वृद्धाआश्रम।
शादी होते हीं सब उनको,
पहुँचाए वृद्धाआश्रम ।
पलकों पर रखते थे हमको,
आज वही अब बोझ बने,
एक समय ऐसा हो तेरा,
तू जाए वृद्धाआश्रम ।।

चलो करें कुछ ऐसा जग में,
वृद्धाआश्रम घर होए।
सेवा मात पिता की करना,
 जग से आश्रम ही खोए।
उनके आशीष से मिले है,
इस जीवन में नाम तुझे,
मत कर ऐसा तेरे बच्चे,
तुमको वैसे हीं ढोए ।।
व्यंजना आनंद "मिथ्या "

राधेश्यामी या मत्त सवैया छंद क्या है?

राधेश्यामी या मत्त सवैया छंद

इस छंद के आदि में द्विकल (2 या 11) अनिवार्य होता है किन्तु त्रिकल (21 या 12 या 111) वर्जित होता है, पहले द्विकल के बाद यदि त्रिकल आता है तो उसके बाद एक और त्रिकल आता है , कुल चार चरण होते हैं, क्रमागत दो-दो चरण तुकान्त होते है।
इसके प्रत्येक चरण में 32 मात्रा होती है और यह पदपादाकुलक का दो गुना होता है ।

सृजन शब्द

सरगम

सरगम बजे हृदय में सारे ,जिसमें है एहसास तेरा।
डूबी भावों में मैं ऐसी लग रहा सिर्फ तेरा फेरा।।
दिल में प्रीत पिया का रहता ,उसमें आकार बनी मूरत ।
तेरी धुन में मैं तो डोलूँ ,बस उसमें तेरी हीं सूरत।।
टूटे तार देख सरगम के,अब काहें को तू पछताता ।
हो जितना सुकर्म ही करना, वरना टूटे सारा नाता ।।
अपनी डोर कभी मत कसना ,इससे अलग तार सब होते ।
बिखरे रहते सदा यहाँ फिर ,खुशियाँ नहीं कभी वह बोते ।।
झंकृत होकर सरगम निकला , सा रे ग म के स्वर फिर आए ।
सरगम सात सुरों से बनता ,हम एक साथ मिलकर गाए।।
सुंदर गायन तभी बना है, जब सुर साथ हमेशा रहता।
हो सार्थकता गायन की तब , उसके साथ ताल भी बहता ।।
व्यंजना आनंद "मिथ्या
"
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