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Hamd Shayari - Hamd o Sana Poetry
ह़म्द
हम्दो सना उर्दू शायरी हिंदी में
तू ही करीम तू ही ग़फ़ूरुर्रह़ीम है।
तुझसा नहीं है कोई तू सबसे अ़ज़ीम है।
तुझसा नहीं है कोई तू सबसे अ़ज़ीम है।
है ह़र्फ़ - ह़र्फ़ मोती कलाम ए मुबीन का।
ह़क़ है कलामे पाक भी तू भी स़मीम है।
जो कुछ भी है जहाँन में तेरा है बा ख़ुदा।
ऐ ख़ालिक़ ए जहाँ तू सभी का मुनीम है।
कैसे कहूँ बुरा मैं किसी काम को तिरे।
हर एक काम तेरा ख़ुदाया वसीम है।
शम्सो क़मर भी तेरे करम सेहैं जलवागर।
ऐ रब्बे कायनात तू बेशक करीम है।
हर फूल पर यूँ ही तो हैं शैदा ये तितलियाँ।
या रब हर एक फूल में तेरी शमीम है।
रहता है तेरा ज़िक्र हमेशा ज़ुबान पर।
बेशक हमारे क़ल्ब में तू ही मुक़ीम है।
ना ह़क़ का साथ देता नहीं है कभी फ़राज़।
ह़क़ पर जो गामज़न है तू उसका नदीम है।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ मुरादाबाद उत्तर प्रदेश
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