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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर एक नज़र

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर एक नज़र

What Is New Education Policy 2020

असलम आजाद शम्सी  



 Nai Rashtriy Shiksha Policy kya hai


 हनवारा, गोड्डा, झाड़खंड

82109 94074

                 देश की आजादी के बाद से ही समय-समय पर शिक्षा पद्धति में बदलाव किया जाता रहा है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात सर्वप्रथम इंदिरा गांधी की नेतृत्व वाली सरकार ने प्रथम शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने के लिए डॉक्टर दौलत सिंह कोठारी की अध्यक्षता में कोठारी आयोग (KOTHARI COMMISSION)का गठन किया जिसे 24 जुलाई 1968 ईस्वी को केंद्र सरकार ने प्रथम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (FIRST EDUCATION POLICY)घोषित की।

 1968 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश में शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव का पहला प्रयास था। इसके बाद 1986 में स्वर्गीय राजीव गांधी(RAJIV GANDHI) द्वारा दूसरे शिक्षा नीति को मंजूरी प्रदान की गई । फिर 1992 में नरसिम्हा राव(P. V. Narasimha Rao) की सरकार ने उक्त शिक्षा नीति में बदलाव किया तथा लागू किया। तब से लेकर आज तक भारत उसी शिक्षा नीति के सहारे अपनी शिक्षा व्यवस्था चला रही है। वर्तमान समय में भारत देश जिस शिक्षा नीति को लेकर चल रहा है वह 34 साल पुराना है और बदलते वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए मौजूदा समय में यह शिक्षा नीति किसी हद तक प्रभावहीन भी प्रतीत हो रही है। जिस प्रकार पूरा विश्व विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के सहारे नित नए आयाम छू रहा है एवं अपने देश को गति एवं बल प्रदान कर रहा है उसे देखते हुए भारत में भी लंबे समय से शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। यही कारण रहा कि विश्व के सुपर पावर देशों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने,भारत की शिक्षा व्यवस्था का डिजिटलाइजेशन करने, एवं भारतीय नागरिकों को कुशल एवं तकनीकी बनाने के लिए नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने 34 साल पुरानी शिक्षा पद्धति के स्थान पर नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट तैयार करा पूरे देश से सुझाव आमंत्रित किया। देशभर से प्राप्त हुए दो लाख से भी अधिक सुझाओं पर गहन अध्ययन एवं लंबे विचार-विमर्श के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने 29 अगस्त 2020 को नई शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दे दी। इस नई शिक्षा नीति का मसौदा वरिष्ठ शिक्षाविद भूतपूर्व इसरो प्रमुख तथा जेएनयू के पूर्व चांसलर डाक्टर के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक 9 सदस्यीय टीम ने तैयार किया है।नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अंतिम मुहर लगने के बाद देश के बुद्धिजीवियों शिक्षा जगत से जुड़े विद्वानों एवं आम जनों के प्रतिक्रियाओं का दौर निरंतर जारी है । कुछ ने इसे आलोचनात्मक दृष्टिकोण से देखा तो कुछ ने सराहना भी की । कुछ ने इसे चुनौतीपूर्ण तो कुछ ने देश को आत्मनिर्भर और कुशल बनाने का रास्ता बताया, तो कुछ की नजरों में आर एस एस की पद्धति और योजना। मोटे तौर पर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस बात की ओर इशारा करती हुई प्रतीत होती है कि देश में शिक्षा के क्षेत्र में सरकार का विजन किया है? उद्देश्य क्या है ? निसंदेह शिक्षा किसी भी देश की तरक्की,विकास या फिर उसकी बदहाली और बर्बादी के लिए बड़ा कारण होता है और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी आने वाले दिनों में शिक्षा के क्षेत्र ही नहीं अपितु कई मामलों में देश की दिशा एवं दशा तय करेगी । इस नई शिक्षा नीति में कई बातें ऐसी है जो तुरंत लागू होने वाली नहीं है कई बातें ऐसी है जिसे लागू करने से पहले संबंधित बुनियादी ढांचा तैयार एवं उपलब्ध कराने की आवश्यकता है जबकि कई बदलाव के लिए तो देश के नागरिक मानसिक तौर पर ही तैयार नहीं है। इन सबसे ऊपर जो सबसे महत्वपूर्ण बात है वो ये है कि संविधान में शिक्षा को समवर्ती सूची में रखा गया है इसका मतलब साफ है कि यह केंद्र सरकार के साथ साथ राज्य सरकार का भी अधिकार क्षेत्र है, अतः यह कतई आवश्यक नहीं है कि देश का हर राज्य एक साथ इसे पूर्ण रूप से स्वीकार करें एवं अंगीकार करें । यानी की नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में भी कई प्रकार की चुनौतियां हैं जिनसे सरकार को निपटना होगा। आमतौर पर जब हम अपने देश भारत की बात करते हैं जिसे अनेकता में एकता के लिए जाना जाता है तो हम पाते हैं कि किसी भी सरकारी नीति अथवा योजना के लागू हो जाने के वर्षों बाद भी यहां के नागरिक उस चीज को ना तो जान पाते हैं ना समझ पाते हैं और ना ही उन्हें इसका पूर्णतः लाभ मिल पाता है। भारत के परिपेक्ष में यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि यहां लागू होने वाली हर नई नीति और योजना का लाभ हम पूर्ण रूप से लाभार्थी तक नहीं पहुंचा पाते हैं । ऐसे में जब हम ग्रामीण भारत की ओर देखते हैं तो हमें यह समस्या और भी अधिक विकराल नजर आती है। हमारी हर नीतियां कागज पर तो बहुत अच्छी होती है लेकिन धरातल पर आधा अधूरा नजर आता है। देश की अस्सी फ़ीसदी आबादी दलित मुस्लिम आदिवासी इत्यादि वर्ग का है जिनकी आर्थिक स्थिति आज भी इतनी अच्छी नहीं है कि वह पहली कक्षा में नामांकन के उपरांत 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई निरंतर जारी रख सके एवं उसे पूरा कर सके। हमारे देश में ड्रॉप- आउट करने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या अभी अधिक है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि सरकार का मुख्य धारा से हटकर तैयार किया गया राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भविष्य में क्या परिणाम सामने लाती है एवं भारत जैसे देश में शिक्षा के स्तर में और शिक्षा की कुशलता में कितना बदलाव ला सकने में कारगर साबित होती है एवं सरकार अपनी नीतियों में कहां तक सफल हो पाती है। 



नई शिक्षा नीति में क्या है खास नई

 राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में कई अहम एवं बड़े बदलाव की बात की गई है जैसे.....
        ये शिक्षा नीति अंग्रेजी के साथ-साथ दूसरे भारतीय भाषाओं के साथ साथ मातृ भाषा या क्षेत्रीय भाषा जो भी हो पर अधिक बल देती है।
   लिबरल आर्ट्स के विकास पर जोर देती है जो भारत के बच्चों को बहुआयामी क्षेत्रों में मुखर, कुशल, रचनात्मक एवं उद्यमी बनाने में सहायक सिद्ध होगी। 
    नर्सरी से ही पांचवी कक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा देने की बात कही गई है । 
     इस नीति में 1 से 18 साल तक के आयु वर्ग के बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा देने की भी बात कही गई है।
*इस नीति में नेशनल एजुकेशन कमीशन का गठन ,
*एमएचआरडी का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय,
*3 और 4 साल का ग्रेजुएशन कोर्स *दुनिया की बेहतरीन 200 विश्वविद्यालयों के कैंपस भारत में खोलने 
एवं मल्टीडिसीप्लिनरी स्कूल कॉलेज (MULTIDISCIPLINARY SCHOOL AND COLLEGE) खोलने जैसी महत्वपूर्ण बातें भी कही गई है। 

*यह नीति पूरी तरह से बच्चों के सीखने पर केंद्रित है। अर्थात अब बच्चों को केवल पढ़ाई लिखाई तक सीमित न रखकर उसे कुशल बनाने पर अधिक जोर दिया जाएगा।
*स्कूली शिक्षा में अब कई प्रकार के वोकेशनल कोर्स (VOCATIONAL CORSE) का भी प्रशिक्षण बच्चों को स्कूली स्तर पर दिया जाएगा।
*बोर्ड परीक्षा (BOARD EXAM)का बच्चों के ऊपर पड़ने वाले तनाव को भी कम करने की बात इस नई शिक्षा नीति में की गई है जो एक अच्छी पहल कही जा सकती है।


*नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEW EDUCATION POLICY) में स्कूली शिक्षा को चार भागों में यथा 4+3+3+5 में बांट दिया गया है।यानी स्कूल स्तर की शिक्षा अब 12 साल के बजाय 15 साल का होगा।
इत्यादि जैसे अन्य कई बड़े एवं महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलेंगे।

निसंदेह नई शिक्षा नीति में कई ऐसी सिफारिश की गई है जिसको पूर्णरूपेण (TOTALLY) लागू कर भारत के लोगों को कुशल एवं सक्षम बनाया जा सकता है तथा युवाओं में सृनात्मकता एवं रचनातमकता का विकास कर उसे उद्यमी बनाया जा सकता है तथा देश को बड़े बदलाव की ओर अग्रसर किया जा सकता है परंतु क्या इतने बड़े देश में इतने बड़े पैमाने (MAAS LEVEL) पर बदलाव और वह भी एक साथ और राष्ट्रीय स्तर पर इतना आसान होगा?     अब  आने वाले समय में सबसे महत्वपूर्ण (IMPORTANT) यह देखना होगा कि सरकार इस नई शिक्षा नीति से देश के अंदर कौन-कौन से बड़े, महत्वपूर्ण एवं साकारात्मक बदलाव ला सकती है। भारत में शिक्षा से जुड़े समस्याओं (PROBLEMS) का कितना हल ढूंढ़ पाती है तथा बेरोजगारी जैसे कोढ़ मुद्दे जो भारत में हाल के दिनों में राष्ट्रीय समस्या के तौर पर उभर कर सामने आई है से सरकार किस प्रकार निपटती है एवं देश की शिक्षा व्यवस्था को किस प्रकार बेहतर बना पाने में सफल हो सकती
 है।

   नोट:- यह लेखक के निजी विचार हैं।

 azadaslam736@gmail.com

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