प्रेस स्वतंत्रता दिवस
(03 मई को हर साल)
(कविता)
प्रजातंत्र की सफलता का, प्रेस की स्वतंत्रता है आधार,
ऐसे तो स्वतंत्रता है मनुष्य का, जन्मसिद्ध अधिकार।
अच्छाई के साथ साथ बुराई को भी बाहर निकालना है,
पर ऐसा नहीं चाहती विश्व में, किसी देश की सरकार।
प्रजातंत्र की सफलता का.............
हमारे देश में भी हुआ था प्रेस की स्वतंत्रता का हनन,
वर्ष 1975 से वर्ष 1977 तक, मुश्किल में था जीवन।
पूरे भारत देश में आपात काल का बह रहा था बयार,
प्रेस पर ताला लगा था, बंद हो गए थे कई अखबार।
प्रजातंत्र की सफलता का.............
सरकार के खिलाफ बोलना अपराध माना जाता था,
बोलने वाले लोगों को, जेल में डाल दिया जाता था।
विपक्ष के सारे अच्छे नेताओं को कैद कर लिया था,
कुछ भी लिखने और छापने से, डर रहे थे पत्रकार।
प्रजातंत्र की सफलता का............
प्रेस ही बुलंद करते हैं, देश की जनता की आवाज,
इसलिए समाचार पत्रों को रहना ही चाहिए आजाद।
पर आजादी का मतलब, देश की आलोचना नहीं है,
प्रेस को भी करना चाहिए, बने कानूनों पर विचार।
प्रजातंत्र की सफलता का............
जिस देश की सरकार ने प्रेस को बना दिया गुलाम,
बड़ी ही जल्दी हुआ इसका, बहुत ही खराब अंजाम।
बड़े पैमाने पर क्रांति हुई है, और छिड़ गया संग्राम,
आखिर में प्रेस और जनता से हार जाती है सरकार।
प्रजातंत्र की सफलता का...........
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
0 टिप्पणियाँ