तब तक पुलकित जीवन है
(कविता)
जबतक तन-मन स्वस्थ, और साथ देते,
तब तक पुलकित, इंसान का जीवन है।
जिस दिन दोनों में से एक बीमार हुआ,
मुरझाया फूल सा, यह जीवन उपवन है।
जबतक तन-मन ……………
जिंदगी कभी फूलों की सेज, नहीं रही,
लेकिन हर्षित जीवन, महकता चंदन है।
स्वस्थ तन में, स्वस्थ आत्मा रहती है,
ज्ञान-विज्ञान का भी ये मन मंथन है।
जबतक तन-मन ……………
दुनिया में स्वास्थ्य नहीं तो कुछ नहीं,
जग में चिकित्सा शास्त्र का कथन है।
विद्वानों की भी, यही सोच लगती है,
स्वास्थ्य का दुनिया में, पग वंदन है।
जबतक तन-मन…………….
स्वास्थ्य से बड़ी कोई चीज नहीं है,
जीवन का यही सबसे उत्तम धन है।
आवश्यक है एक सुंदर जीवन शैली,
फिर महकता हुआ यह गुलशन है।
जबतक तन मन……………
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
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