काश ऐसा होता कविता | Kaash Aisa Hota Vivah : Kavita
विषय : काश ऐसा होता
शीर्षक : विवाह
दिनांक : 17 नवंबर, 2024
दिवा : रविवार
विवाह
लड़के का विवाह है होता,
लड़की की होती है शादी।
विवाह में होता विशेष वाह,
तब शादी होता है विवादी।।
बारात जाती है लड़कों की,
विशेष आतिथ्य हो दारू।
वही हैं वी आई पी मेहमान,
आर्केस्ट्रा में होते तकरारू।।
चढ़ता जब शराब का नशा,
तब उसे तो शबाब चाहिए।
नर्तकी आ जाए ये सामने,
बस बातें लाजवाब चाहिए।।
विशेष वाह में कचड़ा होता,
बाराती शराती जाते तन।
बकझक होते मारपीट होती,
ठंढा होता तब सबके मन।।
बारात मालिक रखे नियंत्रण,
हॅंसी खुशी ये गम न डुबोता !
समाप्त होता दारू प्रचलन,
कितना सुंदर काश ऐसा होता !!
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।
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