गुरु नानक जयंती पर कविता
गुरु नानक ५५५वीं जयंती
कार्तिक पूर्णिमा संवत् १५२७, नानक अवतरण रावि तट पर।
तलवण्डी-ननकाना, लाहौर, पंजाब, पाकिस्तान भूखण्ड पर।।
तातश्री मेहता कालूचन्द खत्री, तृप्ता माता का नाम।
धर्म युद्ध में जीवन के सत्तर साल व्यतीत कर नाम।।
करतारपुर २२ सितंबर १५३९ मुक्ति धाम।
शिष्य भाई लहना उत्तराधिकारी अंगद नाम।।
९वें सिख तेग बहादुर मुक्त आत्मन् को शिष्य बनाए।
१ले गुरु नानक के कट्टर अनुयायी बन ख्याति पाए।।
११५ पद्य गुरु ग्रन्थ साहिब में उनका भरा है धर्म ज्ञान।
मुगलिया सल्तनत के धर्म परिवर्तन विरोध धमासान।।
अस्वीकृत कर इस्लाम १६७५ में, औरंगजेब से सिर कटवाए।
शीश गंज रकाब साहिब का, निर्मम बध का स्मरण करवाए।।
मानव धर्म, आदर्शों की प्राणाहुति दे, इतिहास बनाए।
संस्कृतिक विरासत हेतु बलिदान दे, अमरत्व वे पाए।।
५वें पुत्र हरगोविन्द अमृतसर पावन नगरी में अवतरित हुए।
८वें गुरु पौत्र हरिकृष्ण- अकाल मृत्यु से ९वें गुरु बन छाए।।
आनन्दपुर साहिब का निर्माण कर आसन जमाए।
१४ का तरुण-तात मुग़लो से युद्ध, वीरगति पाए।।
शौर्य देख पिता नाम त्यागमल को तेग़ बहादुर नाम दिए।
रक्तपात से वैराग्य जगा, नेह-चिंतन में आजीवन बिताए।।
एकांत 'बाबा बकाला' में, २० वर्ष सिद्ध तपस्वी कहलाए।
८वें गुरु हरकिशन उत्तराधिकारी, बाबा बकाले नाम दिए।।
धर्म प्रचारार्थ कीरतपुर, रोपण, सैफाबाद, खदल आए।
दमदमा साहब कुरुक्षेत्र, यमुनातीर कड़ामानकपुर आए।।
मलूकदास उद्धार, प्रयाग, काशी, पटना, आसम में धर्म फैलाए।
१६६६ पुतर १०वें गोविंद सिंह पटना जन्मस्थली, तीर्थ बनाए।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल
बेतिया नगर निगम
पश्चिम चंपारण जिला मुख्यालय
बिहार
गुरु नानक जयंती
गुरु में ही संसार समाया,
गुरु ने ही सतमार्ग दिखाया।
गुरु नानक देव कार्तिक पूर्णिमा को प्रकटे,
दूर हो गया तम,फैल गया उजियारा।
गुरु नानक के जन्म दिवस को,
गुरु पर्व या प्रकाश पर्व के रूप मनाये।
सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक,
अनमोल वाणी से ज्ञान की ज्योति जगाई।
इक ओंकार के मंत्र से दिया संदेश,
प्रेम,एकता, समानता, भाईचारे और
आध्यात्मिक ज्योति का था संदेश।
जग मिथ्या, ईश्वर सत्य, वेद-पुराण सार समझाया।
पावन गुरु वाणी से हरे अज्ञान हमारे,
जन सेवा,परमारथ का मार्ग दिखाया।
दीन दुखियों से प्रेम करना सिखलाया,
भाव भेद मिटा के शिष्य भाव को जगाया।
घृणा, द्वेष को मिटा , प्रेम ज्योति जगाई।
स्त्री- पुरुष को एक सम बतलाया।
बिना डर भयभीत खुश होकर काम करें।
मानव शत्रु अहंकार उसका करें शमन।
(स्वरचित)
___डाॅ सुमन मेहरोत्रा,
मुजफ्फरपुर,बिहार
गुरु नानक पर कविता
सुप्रभात मंगलम्
जय श्री गणेश
जय श्री राम
जय माँ शारदे
कार्तिक की पूर्णिमा को, प्रकाश का पर्व आत,
गुरु वाणी अमरार्थ धरा पे पधारे थे।
ऐसो महान जगत, अवतरित हो कर,
गुरु वाणी ही प्रसार्य सत साहेब बने।।
सिख धर्म प्रवर्तक, भाई चारा के प्रेरक,
सत्य और निष्ठा के ही प्रबल स्तम्भ रहे।
जगत के सार बन, सार को बिखेर कर,
रमत रमाते वह सत गुरु वाणी थे।।
वाहे गुरु कह जन, बोझ हल्का कर चल,
पीर हटा हीर पात अमन पावत है।
अपनो अमान मे ही, धरम की रक्षा मे ही,
अग्रसर कदम ही सिक्ख धर्म सदा है।।
दुनिया भी लोहा मान, गुरु वाणी संगत की,
परस्पर सहिष्णुता का पाठ पढ़ाते है।
बिन भेद भाव के ही, परस्पर प्रेम रख,
गुरु ग्रन्थ साहिब ही तमस हटात है।।
नानक का सन्देश ही, अच्छे जग फैल जाय,
कुटिल छल छद्मी ही थिर भाव से रहे।
जहाँ है वे वही रहे, सीमित दायरा बस,
अज्ञानता दीप वह वही जलाते रहे।।
भाव मे भावना रहे, प्रेम रहे रग रग,
कुटज कुटिल भाव कहीं नहीं ही रहे।
ऐसा ही सन्देश देत, नानक वाणी कहत,
सेवा मे ही रत जन नीडी की सेवा करे।।
कार्तिक ही पूर्णिमा को, कोटि कोटि नदी डूब,
पाप धोय मोक्ष पात सिर ही नवाते है।
लंगर मे साथ देत, भूखा को ही रोटी देत ,
सेवा की पराकाष्ठा को प्रत्यक्ष करते है।।
ऐसो यह महा पर्व, जगत विख्यात देख,
कोटि कोटि जन मन रमत ही जात है।
आदर सम्मान देय, आदर सम्मान पात,
सेवाहि धर्म: मान वो सेवा ही करते है।।
डॉ ओमप्रकाश द्विवेदी ओम
रात्रि २-५० से ३-३१ मध्य लिखा।
जय हिन्द।
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