आजादी संग सीखें जिम्मेदारी
विषय : आजादी संग सीखें जिम्मेदारी
विधा : लेख
दिनांक : 18 नवंबर, 2024
दिवा : सोमवार
आजादी संग सीखें जिम्मेदारी
आजादी तो सब हैं चाहते,
नहीं चाहते लेना जिम्मेदारी।
जिम्मेदारी बिन होता है यह,
आजादी भी यह महामारी।।
आजादी जीवन का एक बहुमूल्य अंग है, जो हर प्राणियों को प्रिय होता है, लेकिन आजादी आजादी का भी एक परिवार होता है, जिसमें जिम्मेदारी आजादी का सार्थक पूरक होता है। आजादी और जिम्मेदारी में अन्योन्याश्रय संबंध है। जहाॅं आजादी के बिना जिम्मेदारी संभव नहीं है, वहीं जिम्मेदारी के बिना आजादी भी संभव नहीं है।
जैसे हमारे आजादी के क्रांतिकारी नेता अपने आप को आजाद नहीं करते तो यह जिम्मेदारी निभाना संभव नहीं था। उन्होंने सर्वप्रथम अपने आप को भय से मुक्त नहीं किया होता, तो वे भी संघर्ष नहीं किए होते और वे जब संघर्ष नहीं किए होते, तो राष्ट्र का गुलामी से मुक्त होना भी असंभव था। आज हम अपने आपको स्वतंत्र महसूस कर रहे हैं, किंतु यह आजादी तबतक आजाद है,जबतक आजादी को कायम रखने हेतु हम जिम्मेदारी निभा रहे हैं। जिस दिन हम जिम्मेदारी से वंचित हो जाऍंगे उस दिन से पुनः हम गुलामी की जंजीरों में जकड़ जाऍंगे।
आजादी का अर्थ यह नहीं होता कि हम कुछ भी करने में समर्थ हैं। अर्थात स्वतंत्र होकर कोई भी नैतिक अनैतिक समस्त कार्यों को कर सकते हैं, बल्कि स्वाधीनता का अर्थ यह होता है कि अनैतिक कार्यों को अंतर्मन में बिना धारण किए हुए नैतिक कार्यों को संकोच रहित होकर संपन्न करना।
कहा भी गया है कि " सतर्कता हटी, दुर्घटना घटी "। यह निस्संदेह यथोचित है। इसके लिए हमें भी जिम्मेदार बनना होगा, हमें भी जिम्मेदारी सीखना होगा। तभी हमारा स्वाधीनता कायम रहेगा।
अतः आओ हम आजादी के साथ सीखें जिम्मेदारी।
जयहिंद ! जय भारत !!
वंदे मातरम्
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।
0 टिप्पणियाँ