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शब-ए-बारात पर निबंध - Shab-e-Barat Par Nibandh

शब-ए-बारात पर निबंध - Shab-e-Barat Par Nibandh

शबे बरात पर लिखे गए इस निबंध में रुपरेखा : प्रस्तावना - शब-ए-बारात 2024 में कब है - शब-ए-बारात का इतिहास - शब-ए-बारात क्यों मनाते है - शब-ए-बारात कैसे मनाते है - शब-ए-बारात का महत्व - उपसंहार इत्यादि को समाहित किया गया है।

शबे बरात पर निबंध

प्रस्तावना : शब-ए-बारात Shab-e-Barat

शब-ए-बारात का पर्व दुनिया भर में मुसलमानों द्वारा मनाये जाने वाले महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है। शब-ए-बारात फ़ारसी भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है। जिसका अर्थ होता है; शब और रात, शब का अर्थ होता है रात तथा बारात का मतलब बरी या मुक्त होना, छुटकारा पाना है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक यह त्यौहार शाबान महीने की 14वीं तारीख को सूरज के डूबने के बाद से शुरु होता है और शाबान महीने की 15वीं तारीख की रात तक मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस त्यौहार की रात को अल्लाह इबादत करने वाले लोगों को नरक ( जहन्नुम ) से आज़ाद कर देते हैं। इस त्यौहार के इन्हीं महत्वों के कारण शब-ए-बारात के इस महान पर्व को पूरी दुनिया भर के मुसलमानों के द्वारा उल्लासपूर्ण माहौल में मनाया जाता है।

शब-ए-बारात 2024 में कब है, शब-ए-बारात कब मनाया जाता है?

इस साल 2024 में शब-ए-बारात का पर्व 25 फरवरी, रविवार से शुरु होकर 26 फरवरी, सोमवार तक मनाया जाएगा।

शब-ए-बारात का इतिहास - शब-ए-बारात की कहानी

शब-ए-बारात के त्योहार को लेकर बहुत सारी कहानियां और मान्यताएं प्रचलित हैं। इस्लाम धर्म में यह पर्व काफ़ी महत्वपूर्ण माना जाता है, कुरआन और हदीस में भी इस पर्व की महानता का विस्तार से ज़िक्र किया गया है हांलांकि शिया तथा सुन्नी दोनो ही संप्रदायों के लोगों के द्वारा इस पर्व को मनाये जाने के पीछे भिन्न भिन्न मत प्रस्तुत किया जाता है। सुन्नी संप्रदाय के लोगों की प्रायः ऐसी मान्यता है कि इस दिन अल्लाह लोगों के साल भर के पाप-पुण्य का हिसाब करता है तो वहीं शिया संप्रदाय के लोग इस दिन को खास तौर पर शिया संप्रदाय के आख़री इमाम मुहम्मद अल महादी के जन्मदिन के रुप में मनाते हैं।

सुन्नी संप्रदाय के लोगों की शब-ए-बारात से जुड़ी कुछ मान्यताएं

इस्लाम धर्म के सुन्नी संप्रदाय के लोगों की ऐसी मान्यता है कि एक बार की बात है कि जब अल्लाह के पैगंबर हज़रत मुहम्मद साहब का दांत टूट गया था। जिससे उस दिन उन्होंने हलवा खाया था, इसीलिए इस दिन हलवा खाने को सुन्नत और काफ़ी अच्छा माना जाता है। यहीं वजह है कि लोग इस दिन हलवा खाना बेहद पसंद किया करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन अल्लाह आने वाले साल की तक़दीर लिखता है और पिछले साल के पाप-पुण्य का हिसाब भी करता है।

शिया संप्रदाय के लोगों की शब-ए-बारात से जुड़ी कुछ मान्यताएं

इस्लाम धर्म के शिया संप्रदाय की मान्यताओं के अनुसार इस दिन को आख़री शिया इमाम मुहम्मद अल महीदी का जन्म हुआ था। इस दिन को शिया संप्रदाय के लोगों द्वारा जश्न के रुप में मनाया जाता है और घरों को विशेष रूप से खुबसूरती के साथ सजाया जाता है, मस्जिदों में मोमबत्तियां जलाई जाती हैं और नमाज़, रोज़ा और इबादत जैसी मुस्लिम धार्मिक गतिविधियों का आयोजन भी किया जाता है। इस दिन शिया संप्रदाय के आख़री इमाम मोहम्मद अल महीदी का जन्मदिन होने के कारण इसे महत्व के साथ धूम-धाम से मनाया जाता है।

शब-ए-बारात क्यों मनाते है

इस्लाम धर्म में शब-ए-बारात के त्योहार को काफी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा इस रात को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन लोग मस्जिदों और कब्रिस्तानों में भी इबादत के लिए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पिछले साल के किए गये सभी कर्मों का हिसाब तैयार होने के साथ ही आने वाले साल की तक़दीर भी तय होती है। यहीं वजह है कि इस दिन को लोग इस पर्व को इतना महत्व देते हैं।

इस दिन लोग अपना कीमती वक्त में से कुछ हिस्सा निकालकर अल्लाह की इबादत में बिताते हैं। इसके साथ ही इस दिन दुनिया भर के मस्जिदों में नमाज़ अदा करने वाले लोगों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक शब-ए-बारात का पर्व इबादत और तिलावत का विशेष पर्व है। इस दिन अल्लाह अपने बंदों के अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब इंसाफ़ करता है और इसके साथ ही इबादत के बदले लोगों का पाप भुलाकर उनको जहन्नुम ( नरक ) से आज़ाद भी कर देता है। यहीं कारण है कि इस दिन को मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा इतना अधिक महत्व दिया जाता है और इसे धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।

शब-ए-बारात कैसे मनाते हैं

दुसरे सभी त्यौहारों की तरह शब-ए-बारात के त्यौहार को मनाने का भी अपना एक खास तरीक़ा है। इस दिन मस्जिदों और कब्रिस्तानों में ख़ास तौर से सजावट की जाती है। इसके साथ ही घरों में भी मोमबत्तियां जलाई जाती हैं और लोग अपने कामों से वक्त निकाल कर अल्लाह इबादत और दुआ करते हुए बिताते हैं। इस दिन नमाज़ पढ़ने, इबादत करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस रात में खुदा की इबादत करने और अपने गुनाहों की माफ़ी मांगने पर अल्लाह माफ़ कर देते हैं और आने वाले साल के लिए लोग उनसे बरक्कत मांगते है। ऐसा माना जाता है कि बरकत वाली इस विशेष रात में अल्लाह द्वारा साल भर तक होने वाले काम का फैसला लिया जाता है और फरिश्तों को कई सारे काम सौंपे जाते हैं। इसके साथ ही इस दिन लोगो द्वारा हलवा खाने की भी एक विशेष परंपरा देखने को मिलता है।

शब-ए-बारात का महत्व 

इस्लाम धर्म में शब-ए-बारात के पर्व को बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस त्यौहार पर अल्लाह बहुत से लोगों को नरक ( जहन्नुम ) से आज़ाद कर देता है और उन्हें आने वाली ज़िन्दगी के लिए बरक्कत देता है। इस रात मुस्लिम धर्म के लोग अपने गुज़रे हुए परिजनों के मोक्ष, मुक्ति के लिए दुआ करने के लिए कब्रिस्तान जाते हैं और उनकी मुक्ति के लिए अल्लाह से फरियाद करते हैं। इसके साथ ही इस दिन लोग अपने अल्लाह से अपने गुनाहों के लिए माफ़ी मांगते हैं और अल्लाह उन्हें माफ़ कर उन्हें अपने गुनाहों का प्रायश्चित करने का एक मौक़ा देते हैं। यही कारण है कि इस्लाम धर्म में इस दिन को इतना महत्वपूर्ण दिवस के रूप में माना जाता है और शब-ए-बारात पर्व को इतना महत्व देते हैं।

उपसंहार

हर साल दुनिया भर में शब-ए-बारात का पवित्र त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन को लोगों द्वारा कई जगह जुलूस निकाला जाता है और कब्रिस्तानों में नमाज़ पढ़ी जाती है। इसके साथ ही लोगों द्वारा मस्जिदों पर विशेष नमाज़ अदा की जाती है और फातिहा भी पढ़ा जाता है। हर पर्व की तरह आज के समय में शब-ए-बारात के पर्व में भी कई सारे बदलाव हुए हैं। पहले की अपेक्षा में आज के समय में इस पर्व की उत्साह काफी बढ़ गया है। इस दिन मस्जिदों और कब्रिस्तानों में विशेष साज-सजावट देखने को मिलती है और लोग कब्रिस्तानों में अपने बुजर्गों और परिवारजनों के कब्रों पर जाकर चिराग़ जलाते हैं।

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