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नमाज का बयान हिंदी में - Namaz Ka Bayan in Hindi

नमाज का बयान हिंदी में - Namaz Ka Bayan in Hindi


इस्लाम दुनिया के तमाम मजहबों से पवित्र है। यह बहुत ही प्यारा और सुलझा हुआ मजहब है। इस्लाम मजहब में अलग-अलग लोगों और अलग-अलग जगहों के लिए हजारों खुदा नहीं बल्कि एक ही खुदा पर यकीन किया जाता है इसलिए यह तमाम तरह के उलझन से पाक मजहब है। इस्लाम मजहब की बुनियाद पांच चीजों पर है उन्हें में से एक है नमाज। आज की तहरीर में हम नमाज का बयान (Namaz Ka Bayan in Hindi) पेश करने जा रहे हैं।

नमाज का बयान हिंदी में

नमाज़ के बारे में अल्लाह तआला इरशाद फ़रमाता है कि ऐ मेरे प्यारे महबूब ! तुम ईमान वालों से कह दो कि सब नमाजों की निगेहबानी करो मतलब ये कि पाँच वक्त की फर्ज नमाज़ों को उनके सही वक्तों पर अरकानों और शर्तों के साथ अदा करते रहो! और बीच की नमाज़ की (हज़रत इमामे आज़म अबु हनीफा और जमहूर सहाबा रदियल्लाहो तआला अनहु का मजहब यह है कि इससे नमाज़े अस्र मुराद है) (कंज़ुल ईमाम तर्जुमा क़ुरान पारा 2 रुकु 15 पृष्ठ 92)।

हमारे प्यारे नबी रसूल उल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया के इस्लाम की बुनियाद पाँच निम्नलिखित चीज़ों पर है:

1) नमाज़ क़ायम रखना।
2) जक़ात देना।
3) हज करना।
) माहे रमजान के रोजे रखना। (बुख़ारी शरीफ जिल्दे अव्वल पृष्ठ 6)

नमाज़ की अहमियत

नबी ए करीम सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम ने इरशाद फरमाया अगर किसी के घर के सामने नहर हो और वह शख्स रोजाना (5) मर्तबा ग़ुस्ल (स्नान) करे तो क्या उसके बदन पर मैल रहेगा? सहाबा ने अर्ज़ की कि नहीं ! तब ख़ुदा के महबूब प्यारे नबी ने फ़रमाया कि बस यही मिसाल पाँच ऩमाज़ो की है। यानी पांचो वक्त नमाज पढ़ने वाला शख्स गुनाहों से पाक हो जाता है और जन्नत के दरवाजे उसके लिए खोल दिए जाते हैं। अल्लाह तआला नमाज़ों के सबब उसके तमाम गुनाहों को मिटा देता है और बंदा जिस वक्त नमाज़ के लिए खड़ा होता है तो उसके लिए जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। और उसके और अल्लाह तआला के बीच के परदे हटा दिए जाते हैं और जन्नत की तमाम हूरें उसका इस्तक़बाल (स्वागत) करती हैं।

नमाज़ पढ़ने के फायदे

जिस वक्त इंसान सजदा करता है उस वक्त शैतान रोता हुआ भाग जाता है और कहता है कि अफसोस कि इंसान को सजदे का हुक्म हुआ तो उसने सजदा कर लिया, उसको तो सजदे के बदले में जन्नत मिली लेकिन जब मुझे सजदे का हुक्म हुआ तो मैंने इनकार किया और मुझे इसकी सज़ा, जहन्नुम मिली। जिस दिन तुम्हारे बच्चे सात साल के हो जाएँ तुम उन्हें नमाज़ का हुक्म दो और जब दस साल के हो जाएं तो सख्ती से नमाज़ पढ़ाओ। (तिर्मिज़ी शरीफ जिल्दे 1 पृष्ठ 54 व इब्ने माजा शरीफ़ पृष 58)

नमाज़ के फायदे

हज़रत अबु ज़र गफ्फारी फ़रमाते हैं कि प्यारे नबी रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम सर्दी के दौरान एक बार बाहर तशरीफ ले गए। पतझड़ का मौसम था प्यारे नबी ने एक पेड़ की दो टहनियों को पकड़कर कर उन्हें हिलाया तो उनसे पत्ते गिरने लगे। तब नबी ने फरमाया कि ऐ अबुजर ! मैंने अर्ज किया हाजिर हूँ! फ़रमाया जब मुसलमान बंदा नमाज पढ़ता है और अल्लाह तआला की रज़ामंदी का इजहार करता है तो उसके गुनाह इन्हीं सूखे हुए पत्तियों की तरह गिरते हैं जिस तरह इस पेड़ के पत्ते झड़ते हैं। (मिशकात शरीफ़ जिल्द अव्वल पृष्ठ 58)।
 

प्यारे नबी रसूलुुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम ने इरशाद फ़रमाया है कि नमाज़ में मेरी आँखों की ठंडक और जन्नत की कुंजी रखी गई है और नमाज़ की कुंजी तहारत यानी पाकीज़गी है जिसने क़सदन यानी जानबूझकर (यानी बगैर किसी उज़र शरई के नमाज़ छोड़ दी) तो वैसा व्यक्ति का नाम जहन्नुम के दरवाजे पर लिख दिया जाता है और उसका कोई दीन (धर्म) नहीं है।

नमाज़ दीन का सुतून (खंभा) है। क़यामत के रोज़ सबसे पहले बंदे से नमाज़ ही के बारे में पूछा जाएगा अगर उसकी नमाज़ें मुकम्मल (Complete) हुईं तो उसके सारे गुनाह माफ कर दिये जाएंगे और आमाल क़ुबूल कर लिए जाएँगे और अगर किसी की नमाज़ मुकम्मल नहीं हुई तो वैसे व्यक्ति के तमाम आमाल रद्द कर दिए जाएँगे। दुनिया का सबसे बुरा आदमी नमाज़ का चोर है। (मुकाशफ़ातुल कुलूब शरीफ पृष्ठ 153)।

हज़रत अबु बक़र सिद्दीक़ रजिअल्लाहो तआला अन्हु नमाज़ के बारे में फरमाते हैं कि ऐ लोगों ! अल्लाह ने तुम्हारे लिए जो आग लगाई है उठो और उसे नमाज़ के लिए बुझा दो। हज़रत अनस ने फ़रमाया कि शबे मेराज में प्यारे नबी सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम के उम्मतियों पर पचास वक्त की नमाज़ें फ़र्ज की गईं। फ़िर कम की गईं। यहाँ तक की पाँच बाकी रह गईं। आवाज़ दी गई कि ऐ मेरे मेहबूब इन पाँच के अन्दर ही पचास का सवाब है (बुख़ारी शरीफ़ जिल्दे अव्वल पृष्ठ.50)।

इस्लाम में हर आकिल और बालिग़ पर नमाज़ फ़र्ज है। नमाज़ की फ़रज़ीयत का मुनकिर (इनकार करने वाला) काफ़िर है और जान-बूझकर नमाज़ छोड़ देने वाला भले ही एक वक्त की ही नमाज क्यों न हो वह फ़ासिक़ है। जो नमाज़ नहीं पढ़ता हो उसे क़ैद में रखा जाए जब वह तौबा करके नमाज़ पढ़ने लगे तब उसे रिहा कर दिया जाए। इमाम मालिक, इमाम शाफई, इमाम अहमद के नजदीक सुलताने इस्लाम उसके क़त्ल का हुक्म दें।

अगर किसी से नमाज़ पढ़ने को कहा गया और उसने जवाब दिया नमाज़ तो पढ़ता हूँ पर उसका कुछ नतीजा नहीं या कहा कि तुमने नमाज़ पढ़ी क्या फायदा हुआ या इस तरह कहा कि नमाज़ पढ़कर क्या करूँ किसके लिए पढ़ूँ माँ-बाप तो मर गए हैं या फिर यह कहा कि बहुत पढ़ ली अब दिल घबरा गया है या यूं कहा कि पढ़ना न पढ़ना दोनों बराबर है। मतलब की इस तरह की बातें करना जिससे फ़रज़ियत पर इनकार करना समझा जाता हो या जिससे नमाज़ की तौहीन होती है यह कुफ्र है और ऐसा कहने वाला काफिर ( खुदा पर यकीन नहीं करने वाला ) है। हिज़रत से पहले मेराज की रात में नमाज़ फर्ज हुई और ज़कात और जिहाद और रोज़ा दो हिजरी में फ़र्ज़ हुए। (तफ़सीर नईमी जि. 5 पृष्ठ 264)।

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