अदबी तन्ज़ीम हम ख्याल के मुशायरे में शायरों ने खूब दाद पाई
इश्क़ में बेखुदी भी ठीक नहीं,
इतनी संजीदगी भी ठीक नहीं
अदबी तन्ज़ीम हम ख्याल के मुशायरे में शायरों ने खूब दाद पाई—
जोधपुर
'इश्क़ में बेखुदी भी ठीक नहीं,
इतनी संजीदगी भी ठीक नहीं।
बदायूं के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर फ़हमी बदायूंनी ने अपनी ग़ज़ल के ऐसे खूबसूरत अशआर सुना कर सुधि श्रोताओं को अभिभूत कर दिया।" मौक़ा था साहित्यिक संस्था हम ख़्याल की मेज़बानी में वीकेंड की शाम सजे आल इंडिया मुशायरे का। मुशायरे की सदारत करते हुए फ़हमी बदायूंनी ने' हम तेरे ग़म के पास बैठे थे, हमारे ग़म उदास बैठे थे' कलाम सुना कर मुशायरा लूट लिया। अरसे बाद सजे इस मुशायरे में कई जाने माने शायरों ने ख़ूबसूरत कलाम पेश कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
मुख्य अतिथि जोधपुर के सुपरिचित शायर शीन मीम हनीफ ने
सारे मन्ज़र धुआं धुआं कर दे
इस ज़मीं को भी आसमां कर दे
सुना कर वाहवाही लूटी।
लहजा वही गुफ्तगू वही है
सूरत कितनी बदल गई है
जैसी दिल को छू लेने वाली शायरी सुना कर विशिष्ट अतिथि मशहूर शायर एमआई ज़ाहिर ने महफ़िल में चार चांद लगा दिए।
मुशायरे में चंदौसी मुरादाबाद के विनीत आशना ने—
तुम आए तो तबीयत इतनी बहल गई है
कुछ रोज़ खुदकुशी की तारीख़ बदल गई है
फरीदाबाद की विख्यात कवयित्री मीनाक्षी जिजीविषा ने—
हम एक दूजे के कुछ ऐसे साथ चलने लगे
बदन तो ख़ैर बदन सारे साथ चलने लगे
ग़ज़लें पेश कर श्रोताओं से दाद पाई।
रेख़्ता में धूम मचाने वाली जोधपुर की प्रतिष्ठित शायरा रेणु वर्मा ने—
वो है ख़ुशबू सिमट सकेगी कहां
उसका किरदार ही बिखरना है
बैजनाथ हिमाचल प्रदेश के विकास राना ने—
दिल वो पत्थर जिसमें एक अहिल्या है
लेकिन कोई राम नहीं अफ़साने में
सुना कर गणमान्य श्रोताओं को अभिभूत कर दिया।
मुशायरे में उदयपुर के मक़बूल शायर संपत कबीर ने—
गले मिलने से भी दिल नहीं मिलते अपने
ये कौन लोग हैं जो पसलियां बनाते हैं
बरगेन उत्तर प्रदेश के नादिम नदीम ने—
हर इक ज़ुबां ज़हर उगला रही थी
हर एक लहजा बदल रहा था
जोधपुर के नौजवान शायर वसीम बैलीम ने—
चार पैसे वो जब से कमाने लगा
आईना दोस्तों को दिखाने लगा
ग़ज़लों के अशआर सुना कर ख़ूब दाद पाई।
शुरू में शायर व मुसन्निफ़ एम आई ज़ाहिर ने जोधपुर में उर्दू अदब का इतिहास बताते हुए मेहमानों का स्वागत किया।
सभी शायरों को शाल, स्मृति चिह्न और गुलपोशी से इस्तक़बाल किया गया। संचालन विनीत आशना ने किया। अंत में कवयित्री डा संतोष चौधरी ने आभार जताया। प्रख्यात शायर राजस्थान रत्न शीन काफ निज़ाम, विख्यात कवयित्री डा प्रगति गुप्ता, मशहूर संस्कृत कवयित्री डा सरोज कौशल, भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी चंचल मिश्रा,राजस्थान साहित्य अकादमी सदस्य डा कालूराम परिहार,बतौर मेहमान महफिल में मौजूद रहे।
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