आज का अर्जुन : छल कपट और षड्यंत्र पर कविता
शीर्षक : आज का अर्जुन
दिनांक : 19 अक्तूबर, 2023
दिवा : गुरुवार
आज का अर्जुन
द्वापर में बहु छल किए थे कौरव,
मिटाने पर तुले थे कुल का गौरव,
अब सब समझ चुका है ये अर्जुन,
आज अर्जुन नहीं दूर जानेवाला।
समझ चुका तेरा कल बल छल,
दुर्जन कलंकित अब तेरा है दल,
झाॅंसे से निकल चुका है अर्जुन,
बनाएगा तुझे अब निज निवाला।।
चक्रव्यूह का तूने षड्यंत्र रचा था,
चक्रव्यूह भेदन अभिमन्यु फॅंसा था,
अब आ गई है जयद्रथ की बारी,
अब पड़ा है तेरा अर्जुन से पाला।
दस योद्धा मिल बच्चे को मारा,
कौरव प्रथमतः वहीं तो था हारा,
फिर कौरव लिया जीत का माला।
अभिमन्यु पर था कुल का नाज,
जिसपर टूटे थे कौरव बन बाज,
आज न उठेगा बालक पे उंगली,
अर्जुन के गले है जीत का माला।
बहुत खड़े दुर्योधन दुशासन बचे,
सामने खड़े हैं कृष्ण उनके चचे,
कौरव दल में अब लगेगा ताला,
आज का अर्जुन नहीं जानेवाला।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।
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