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कर्म पूजा ( करमा धरमा ) शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

कर्म पूजा ( करमा धरमा ) शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व


25 सितम्बर 2023 को संपूर्ण भारत और विशेष रूप से झारखंड में करमा पूजा ( करमा धरमा पर्व ) का व्रत महिलाओं द्वारा रखा जाएगा। करमा पर्व मुख्य रूप से बहन अपने भाई की सुख समृद्धि के लिये एकादशी के दिन रखती है। इसके साथ ही झारखंड में यह पर्व अच्छी कृषि और प्रकृति से अच्छी फसल की कामना और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए की जाती है। आईए जानते हैं कि क्या है इस वर्ष कर्म पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।

आचार्य प्रेमनाथ झा सत्यार्थी का कहना है कि ‘करमा पूजा’ झारखंड के सबसे प्रमुख त्यौहारों में से एक है। इस दिन को बहन अपने भाई के लिए विशेष रूप से व्रत रखकर उसके दीर्घायु होने की कामना और आशीर्वाद प्राप्त करती है। प्रत्येक वर्ष करमा पूजा भाद्रमाह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनायी जाती है। ज्योतिषाचार्य प्रेमनाथ झा सत्यार्थी बताते हैं कि इस साल करमा पर्व 25 सितम्बर को शुभ मुहूर्त में मनाया जाएगा। वहीं करमा पर्व केवल झारखंड में ही नहीं बल्कि यह छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बंगाल और असम, आदि राज्यों में भी बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। तो आइए ज्योतिषाचार्य प्रेमनाथ झा सत्यार्थी से जानते हैं कि कब है, करमा और इस बार क्या शुभ योग बन रहा है?

देश के जाने-माने ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हर वर्ष करमा पर्व भाद्रमाह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। वहीं इस साल 25 सितम्बर को करमा पर्व का व्रत रखा जाएगा। 

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करमा पर्व का मुख्य उदेश्य यह है कि इस दिन को बहन अपने भाई की सुख समृद्धि के लिये एकादशी के दिन व्रत रखती है। इसके साथ ही अच्छी कृषि और प्रकृति से अच्छी फसल की कामना और आशीर्वाद प्राप्त की जाती है।

करमा पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

इस बार यह 25 सितम्बर को मनाया जाएगा। वही करमा पूजा के दिन अगली सुबह चार बजे के बाद व्रत का पालन शुरू कर देना चाहिए। वहीं प्रदोष काल में 05 बजकर 32 मिनट के बाद शुभ मुहूर्त की शुरुआत हो जाती है जो कि पूरा रातभर रहेगा। वहीं अगले दिन सूर्योदय के बाद करमा पूजा का पारण दही खा कर लेना चाहिए।

करमा का पूजा विधि

करमा पूजा के कुछ दिन पहले नदी या तालाब में बालू या मिटी डाली में रखते हैं फिर उसमे सात प्रकार के अनाज बोते हैं। वहीं करमा पूजा के दिन बांस की बनी डाली को सजाकर घर के आंगन के बीच मे रखा जाता है। इसके साथ ही करम वृक्ष के पेड़ को भी घर के आँगन मे गाड़ा जाता है और उसके चारो ओर घर की महिलाए बैठकर पूजा आराधना करती हैं और अपने भाई की सुख समृद्धि की कामना करती हैं। करमा पर्व मे रातभर जागरण करने की भी परम्परा रही है।

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