भक्ति गीत : हे त्रिभुवन नाथ हिंदी को देखो
“ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय”
हे त्रिभुवन नाथ, एक नजर हिंदी को देखो,
इसको तुम राजभाषा से राष्ट्रभाषा बना दो।
तेरे सबसे अधिक भक्त, भारत में रहते हैं,
अपने भक्तों पर तुम सारी कृपा बरसा दो।
हे त्रिभुवन नाथ…………….
कई बार हो चुकी, इस बात पर भारी चर्चा,
पर नहीं मिला अबतक राष्ट्रभाषा का दर्जा।
सरकारें आती रहीं और जाती रहीं भारत में,
वर्तमान सरकार को कोई रास्ता दिखला दो।
हे त्रिभुवन नाथ………………
दक्षिण भारत में होता रहा हिंदी का विरोध,
इसके रास्ते में खड़े कर दिए जाते अवरोध।
हिंदीभाषी क्षेत्रों में भी सम्मान नहीं मिलता,
सबके दिमाग में कोई नई ज्योति जगा दो।
हे त्रिभुवन नाथ…………….
मेरी विनती को भूलना नहीं तुम कैलाशपति,
साथ निभाने को देना तुम सभी को सुमति।
तुम्हें मैं, हर सोमवार को बेल पत्र चढ़ाऊंगा,
टूटती आशा को देवा, तुम फिर से बसा दो।
हे त्रिभुवन नाथ…………..
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
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