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आओ निज से प्यार करें | Aao Nij Se Pyar Karen Hindi Kavita

आओ निज से प्यार करें | Aao Nij Se Pyar Karen


विषय : आओ निज से प्यार करें

दिनांक : 14 जुलाई, 2023
दिवा : शुक्रवार

निजता से ये बंधी है दुनिया,
निजता को ही स्वीकार करें।

निजता के पावन बंधन में ही,
आओ निज को ही प्यार करें।।

आए तो हैं अकेले ही धरा पे,
अकेले ही यहां से जाना है।

जन्म से लेकर मृत्यु तक हमें,
हर समय भी यही बिताना है।।

निजता के जीवन को अपने,
आओ सहर्ष ही स्वीकार करें।

स्व से बंधे हर नियमों को भी,
आओ सहर्ष ही अंगीकार करें।।

हुई थी सृष्टि जब यही आरंभ,
नर का ही तब स्वावलंबन था।

नारी भी आई कुछ दिन बाद में,
तब नारी का ही अवलंबन था।।

जीवन जीवन का पूरक होता,
आओ जीवन हम निखार करें।

निजता के पावन बंधन में ही,
आओ निज को ही प्यार करें।।

मां ने हमें जब जन्म दिया तो,
मां का दूध ये कहां से आता है ?

तेरे हेतु मां कीं पौष्टिक भोजन,
तब मां का दूध भी तू पाता है।।

तेरे जीवन हेतु कई जीवन मिले,
हर जीवन को ही आधार वरें।

हर जीवन पे हर जीवन आश्रित,
आओ जीवन का आभार करें।।

कुछ बड़े हुए तो खेलने ही हेतु,
कुछ संगी मित्र तुम बनाए थे।

घर परिवार को को छोड़ तुम,
मित्रों संग भी पल बिताए थे।।

माता पिता परिवार मित्र को,
आओ नमन भी इजहार करें।

बस जाएं हम सबके दिल में,
आओ निज को ही तैयार करें।।

कुछ और बड़े हो स्कूल में गए,
शिक्षकगण का सहयोग मिला।

शिक्षा पाकर ही तुम योग्य हुए,
कमल सदृश तेरा हृदय खिला।।

हर जीवन के तुम हुए आभारी,
नहीं किसी से भी किनार करें।

जीवन ही जीवन का सहयोगी,
जीवन को नहीं शर्मसार करें।।

पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना

अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

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