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मेरी कलम : हिंदी कविता‌ | Meri Kalam : Hindi Kavita

मेरी कलम : हिंदी कविता‌ | Meri Kalam : Hindi Kavita

विषय : मेरी कलम
दिनांक : 29 मई, 2023
दिवा : सोमवार

लिखता तो हूं कुछ और किन्तु,
मेरी कलम और लिख जाती है।
स्वयं चल जाती दूसरे ही पथ पर,
मुझको भी वह तो भटकाती है।।
मेरी कलम सदा ही यह कहती,
जो लिखा है वही पढ़कर सीखो।
सबका भला सदा ही मैं करती,
अत्यधिक जोर से न तुम चीखों।।
मैं तो सदा सबके काम हूं आती,
गर्व से सब कहते मेरी कलम है।
मैं ही तो सच्ची जीवन संगिनी,
कलम रखनेवाले मेरे बलम हैं।।
मैं ही तो लिखती कविता कहानी,
मैं ही तो लिखती यह संस्मरण हूं।
मैं ही तो लिखती तुम्हारी जीवनी,
जीवनोपयोगी सुंदर आवरण हूं।।
निरंतर ही मैं तो लिखती जाती,
नहीं कहीं रूकती या झुकती हूं।
गलत उपयोग जो किया किसीने,
उसके मुंह पर सीधे मैं रूकती हूं।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

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