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मैं हूं अखबार हिंदी कविता | Main Hun Akhbar : Hindi Kavita

मैं हूं अखबार हिंदी कविता | Main Hun Akhbar : Hindi Kavita

विषय : मैं हूं अखबार
दिनांक : 27 मई, 2023
दिवा : शनिवार
नित्य हर घर द्वार,
जाता हूं एक बार।
जन जन का प्रिय,
एक मैं हूं अखबार।।
प्रथम पृष्ठ आगे बढ़ते,
पढ़ते और पढ़ाते हैं।
समाचार व साहित्य, 
मन में वे गुनगुनाते हैं।।
देश विदेश समाचार देते,
घटना दुर्घटना दिखाते हैं।
घर घर की खोज खबरें,
जन जन को पहुंचाते हैं।।
कहीं खुशी कहीं ग़म,
हंसाते और रुलाते हैं।
किंतु जन चाव से पढ़ते,
सबके मन को भाते हैं।
कभी पक्ष की प्रशंसा करते,
कभी दिल भी दुखाते हैं।
कोई खुश होते हैं हम पर,
कोई क्रोध भी दिखाते हैं।।
चाहे सत्ता हो या हो विपक्ष,
खरी खोटी सब सुनवाते हैं।
कोई खुश हो या हो दुःखी,
हमें पढ़ सब अघाते हैं।।
मैं तो हूं घर घर की शोभा,
सबकी मैं मददगार हूं।
सब होते तलबगार मेरे,
हां हां मैं अखबार हूं।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

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