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गीत : दिल की कली Dil Ki Kali Khil Gai : Hindi

गीत : दिल की कली Dil Ki Kali Khil Gai : Hindi Geet

गीत : दिल की कली

खिल गई, खिल गई यार,
दिल की कली खिल गई।
मौसम हो गया था सुहाना,
कली से खुशबू मिल गई।
खिल गई……..

कली से फूल बना सुंदर,
महक समा गई है अंदर।
कैसे दूर रह सकते भंवरे,
डाली डाली जो हिल गई।
खिल गई………

है ये प्यार का नजराना,
देख जल रहा है जमाना।
नयन से नयन मिल गए,
सांस से सांस मिल गई।
खिल गई………

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

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