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गुलशन गुलज़ार : आज़ाद नज़्म | Gulshan Gulzar Azad Nazm

 गुलशन गुलज़ार : आज़ाद नज़्म | Gulshan Gulzar Azad Nazm

नज़्म : गुलशन गुलज़ार 
(आज़ाद नज़्म)

दो दिलों के दरम्यान जबतक प्यार है,
मौसम जो भी हो, गुलशन गुलज़ार है।
पतझड़ के लिए कोई जगह नहीं होती,
सामने हर मुसीबत दिखता लाचार है।

मुहब्बत और जंग में हर चीज अच्छी,
यह बात लगती है बिल्कुल ही सच्ची।
जो भी हो जाए हकीकत नहीं बदलती,
इस समय जलती है दिमाग की बत्ती।

मुरझाते नहीं हैं, दिल गुलशन के फूल,
हर तोहफ़ा होता है यारों इसको कबूल।
बेईमान मौसम भी, मेहरबान हो जाता,
खुदा माफ कर दिया करते हैं हर भूल।

गुलों की खुशबू, बहुत दूर तक जाती है,
जहां भी जाती है, सोए प्यार जगाती है।
इंसान गुलाम हो जाता है इस प्यार का,
भटके इंसान की जिंदगी बदल जाती है।

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

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