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फाल्गुन मास के भक्ति गीत एवं भजन Falgun Maas Ke Bhakti Geet Bhajan

फागुन माह में सभी भगवान के भजन | Fagun Bhajan Lyrics

भक्ति गीत: फागुन में रामजी हनुमान जी
“जय जय श्रीराम जय बजरंगबली हनुमान,
फागुन में सभी का कल्याण करें भगवान।”
फागुन का महीना, लगता है बड़ा सुहाना,
मालपुआ भोग लगाने रामजी चले आना।
खुद भी आना और हनुमान जी को लाना,
इसी बहाने दे जाना, आशीष का खजाना।
फागुन का महीना………….

बसंती मौसम लगता है, बड़ा ही अलबेला,
बाग बगीचों में लगा देखो फूलों का मेला।
अवध और मिथिला धाम संग झूम रहे हैं,
नया हो गया वो, जो नाता रहा है पुराना।
फागुन का महीना…………..

जरूर आना चाहेगी संग संग सीता मैया,
कैसे कोई भूले, अपना वीर लक्ष्मण भैया?
नित नित भक्त राह देखते हैं सुबह शाम,
पशु पक्षी भी भी भूल जाते अपना दाना।
फागुन का महीना…………

देखो, कितना निखर गया जनकपुर धाम,
सारी मिथिला कर रही है आपको प्रणाम।
अपने चमत्कार से, बेड़ा पार कर दो प्रभु,
आपके बिन संभव नहीं है फागुन मनाना।
फागुन का महीना…………

आप तो जानते हैं प्रभु, सारे रीति रिवाज,
फागुन में जग को, दिखला दो राम राज।
रंग और गुलाल से, बच नहीं सकते आप,
चुपचाप खड़े होकर पड़ेगा आपको लगाना।
फागुन का महीना…………

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


फाल्गुन मास में श्याम भजन फाल्गुन भक्ति गीत

श्याम खेले होली मधुवन में (गीत)
(होली भक्ति गीत)
“श्री वासुदेवाय नमः”
मधुवन में, श्याम खेले होली मधुवन में,
वृंदावन में, कृष्णा खेले होली वृंदावन में।
मधुवन में हो हो मधुवन में… ……

गोपीयन से बोले, प्यासे नटखट कन्हैया,
नाचो मेरे संग मिलकर सब तता थैया।
बोली राधा रानी, मैं तो मर गई रे मैया,
बोली गोपीयन सब, हाय दैया रे दईया,
आई रे रंगों की बरखा बहार, जीवन में,
वृंदावन में, कृष्णा खेले होली वृंदावन में।
मधुवन में, श्याम खेले…………….

मुस्काए वंशी बजाए, श्याम वंशी बजैया,
पीछे पीछे ग्वाल बाल, आगे आगे गैया।
महके चमन वन, छुए तन पवन पूर्वैया,
छोड़े न कान्हा, राधारानी छुड़ाए कलैया।
फागुन में, नंदलाल खेले होली फागुन में,
वृंदावन में, कृष्णा खेले होली वृंदावन में।
मधुवन में, श्याम खेले…………..

कहां खोए कन्हैया, खोजे यशोदा मैया,
रंगा मधुवन बना है, जैसे भूल भुलैया।
मधुवन रास रचाए, देखत रास रचैया,
सताए मुरली बजाए रे, मुरली बजैया।
तन मन में, अगन लगाए तन मन में,
वृंदावन में, कृष्णा खेले होली वृंदावन में।
मधुवन में, श्याम खेले…………

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


भक्ति गीत : फागुन में शनि महाराज के भजन

(ॐ शं शनैश्चराय नमः)
फागुन का महीना है, बगिया में बहार है,
पधारो शनि महाराज, आपका इंतजार है।
विनती सुनना और बिलंब न करना प्रभु,
सारे भक्तों की आत्मा की यह पुकार है।
फागुन का महीना है………..

वातावरण साफ है, उड़ती नहीं कहीं धूल,
वन उपवन में खिले हैं, रंग बिरंगे फूल।
लहराते सरसों फूल मन को खुशी देते हैं,
सरसों तेल से ही, होता आपका श्रृंगार है।
फागुन का महीना है………

मधुर स्वर में गीत गाती है कोयल रानी,
छुपकर कहीं पेड़ों में, मैना पढ़ती कहानी।
किसी दुल्हन जैसे सजी संवरी है प्रकृति,
फागुनी वेला पर, आपका क्या विचार हैं?
फागुन का महीना है………

ॐ शं शनैश्चराय नमः, सबकी एक बोल,
आ जाओ, आ जाओ, मौका है अनमोल।
भक्तों में अपनी कृपा बांटकर चले जाना,
सब कहते हैं आपकी महिमा अपरंपार है।
फागुन का महीना है……..

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


फागुन भक्ति गीत : शनि देव तेरे दरबार में

“फागुन का महीना, बागों में बसंत बहार,
शनि देव आपका स्वागत और इंतजार।”

शनि देव तेरे दरबार में, बरस रहा प्यार,
सहर्ष भक्त कर रहे, तेरी जय जयकार।
दरबार तेरा महक रहा, सुगंधित फूलों से,
बहती रहती शनि महाराज, तेल की धार।
शनि देव तेरे दरबार में……….

हर शनिवार शिंगनापुर में लगता है मेला,
सारे देवों में, प्रभु तेरा रूप बड़ा अलबेला।
जो भजता है तेरा नाम कभी हृदय पूर्वक,
तुम भी सुन लेते हो, उसकी झट पुकार।
शनि देव तेरे दरबार में……….

अपने सेवकों पर जल्दी कृपा करो प्रभुजी,
कोरोना महामारी ने मचाया था हाहाकार।
खुशी खो गई थी लोगों के जीवन से जैसे,
पूज्य शनि देव, तेरी महिमा है अपरंपार।
शनि देव तेरे दरबार में……….

स्वीकार कर लो विनती अपने भक्तों की,
रो रहे थे घर के घर, परिवार के परिवार।
क्या करते लोग, और कहां जाते ऐसे में?
छूट गए काम, हाथ से चले गए रोजगार।
शनि देव तेरे दरबार में……….

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


फाल्गुन भक्ति गीत : फागुन में भोलेनाथ के भजन

“हर हर शंभू, घर घर शंभू, कण कण शंभू,
नस नस शंभू, रग रग शंभू, है तू ही तू।”

सावन में तो आप हर साल आते हो भोले,
एक बार फागुन में भी पधारकर देखो ना।
फल फूल और कंद मूल खाते रहते ही हो,
अब फागुन का मालपुआ खाकर देखो ना।
सावन में तो आप…………

रंग रस से भरा लगता है फागुनी खजाना,
निमंत्रण पत्र भेज रहा हूं, हमें नहीं भुलाना।
आप महाकाल हो, लाना अपनी पूरी टोली,
फागुनी मौसम में डमरू बजाकर देखो ना।
सावन में तो आप………..

आपके दर्शन से जीवन सफल हो जाएगा,
हम भक्तों का रूठा भाग्य बदल जाएगा।
नंदी महाराज प्रसन्न होगा, हरियाली देख,
मधुर फागुन में नंदी को लाकर देखो ना।
सावन में तो आप…………

सुन लो महादेव इस बार भक्तों की पुकार,
आपके चरण रज से होगा सबका बेड़ा पार।
पूजन और वंदन आपका हम सदा करते हैं,
कैलाशपति, अपना दरस दिखाकर देखो ना।
सावन में तो आप………….

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


फागुन भक्ति गीत : फागुन में सूर्य नारायण

ॐ श्री भास्कराय नमः
छा चुका है अब फागुन, सुंदर धरती पर,
चमका दो, चमका दो जग सूर्य भगवान। 
स्वर्ण प्रकाश देने में कोई कमी न करना,
तेरी धूप में दमकता रहे नीला आसमान।
छा चुका है अब फागुन…………

दौड़ाते रहो अंबर में अपना ये स्वर्ण रथ,
रथ जहां जहां जाएगा, होगा जीवन पथ।
हर वर्ष आता यह फागुन खुशियां लेकर,
फूलों को तुम हमेशा देते रहना मुस्कान।
छा चुका है अब फागुन………..

तेरे कारण ही जगमग करता यह आकाश,
बसंती फागुन को देते रहना अपना प्रकाश।
तेरे आशीष बिन फागुन आधा अधूरा होगा,
सबकी है अभिलाषा, चाहिए तुमसे वरदान।
छा चुका है अब फागुन………..

दिनकर दानी, सुनो फागुन के मधुर गीत,
चांद सितारों को भी लाओ, बनाओ मीत।
रस पीयो अनार और महुआ का घर घर,
खाओ मालपुआ के समान मधुर पकवान।
छा चुका है अब फागुन………….

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

गणेश जी की फागुन भक्ति गीत

गजानन महाराज स्वागत
(होली भक्ति गीत)
“श्री गणेशाय नमः”
सबके हृदय पर तुम करने वाले राज,
स्वागत तेरा है, हे गजानन महाराज!
फागुन महीना, बसंती बयार बह रहा
होली मनाओ चखो पुआ का स्वाद।
सबके हृदय पर……….
रंग और गुलाल खेलो हमारे साथ,
कर दो अपनी महिमा की बरसात।
निराश नहीं करना हम भक्तों को,
इंतजार में है सारा मानव समाज।
सबके हृदय पर………
तेरी कृपा से जग से कोरोना भागा है,
हम भक्तों पर तेरा आशीष जागा है।
भूल चूक सारे माफ कर दो विनायक,
बचा लो आज तुम फागुन की लाज!
सबके हृदय पर………..
हम सेवक कर रहे होली की तैयारी,
तेरे लिए खरीदी एक सुंदर पिचकारी।
भूलना नहीं तुम निमंत्रण भक्तों का,
तेरे सिर सजा प्रथम पूज्य का ताज।
सबके हृदय पर…………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

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