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राष्ट्रीय बालिका दिवस पर कविता | National Girl Child Day Poem in Hindi

Rashtriya Balika Diwas Par Kavita | National Girl Child Day Poem in Hindi

राष्ट्रीय बालिका दिवस फिर आया
(कविता)
“राष्ट्रीय बालिका दिवस के शुभ अवसर पर सभी बालिकाओं को उज्ज्वल भविष्य के लिए ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं एवं अशेष बधाईयां।”

विश्व बालिका दिवस आज फिर आया,
साथ बड़ी हंसी खुशी का मौसम लाया।
जब भी मौका मिला है बालिकाओं को,
कदम कदम पे अपना परचम लहराया।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान चला,
सारे संसार में, एक नया जोश जगाया।
विश्व बालिका दिवस………

होता जिस घर में बेटियों का अपमान,
उस घर से नाराज हो जाते हैं भगवान।
कन्याएं जिस आंगन में पाती सम्मान,
सबके चेहरे पर, नाचती गाती मुस्कान।
बालकों जैसे बालिकाएं भी हैं आवश्यक,
ईश्वर ने सोचकर, है यह संसार बनाया।
विश्व बालिका दिवस…………


हमारी बालिकाओं में है, रानी लक्ष्मीबाई,
हर क्षेत्र में जारी है, परिस्थिति से लड़ाई।
सशस्त्र सेनाओं में दम दिखा रही बेटियां,
कौन कहेगा कि बालिकाएं होती हैं पराई?
विश्व बालिका दिवस पर, दिल से बधाई,
बालिकाओं ने है घर आंगन को महकाया।
विश्व बालिका दिवस…………..

हर बालिका किसी घर की बहू बनती है,
बिंदिया चमकती है और मेहंदी रचती है।
बालिका नहीं हो तो बहू कहां से आएगी?
अब अपने पति देव से श्रीमती पूछती है।
बालक के समान ही, बालिका है संतान,
बेटी आई है आगे, जब बेटा ने ठुकराया।
विश्व बालिका दिवस……….

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


राष्ट्रीय बालिका दिवस पर साहसी बेटियों पर कविता

नाम करती बिटिया रानी
(गीत)
“राष्ट्रीय बालिका दिवस के शुभ अवसर पर सभी बालिकाओं को ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं एवं अशेष बधाईयां।”
अब खूब नाम करती है बिटिया रानी,
बदल गया इतिहास, बदल गई कहानी।
युग बदला, जमाना बदला, वक्त बदला,
कल की बातें छोड़ो, जो हो गई पुरानी।
अब खूब नाम करती है…………

इतिहास क्या चीज अब बेटी के आगे?
शर्म से, भूगोल भी हो रहा पानी पानी।
हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही है,
जमाने को भी, याद दिला रही नानी।
अब खूब नाम करती है……………

मौसम बड़ा अलबेला और सुहाना आया,
सारे जग में, बेटियों का जमाना आया।
बेटियों के बढ़ते कदम रुक नहीं सकते,
चाहे कोई कितनी भी कर ले बेईमानी?
अब खूब नाम करती है…………

आसमान भी झुकने को तैयार है आगे,
देखकर बेटों को, थोड़ी हो रही है हैरानी।
अब गूंगी गुड़िया कोई नहीं कह सकता,
बेटियों के साहस की, दुनिया है दीवानी।
अब खूब नाम करती है…………..

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/गीतकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर(मधुबनी)बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)


अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस

24 जन, 2023
नवसृजन 111
विषय: कन्या, बालिका, बाला, बेटी।
शीर्षक: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

क्यूँ करते हो मुझे उपेक्षित,
मैं ही तुम्हारी प्रिय बेटी हूँ।
बेटी जान भ्रूण हत्या करते,
जैसे बेटी नहीं मैं घेंटी हूँ।।
मत समझो तुम मुझे हीन,
मेरे बिन तेरा बेटा अधूरा।
कौन बाँधेगा राखी उसको,
कौन करेगा यह सृष्टि पूरा।।
आने दो दुनिया में मुझे भी,
मुझे भी तुम अरमान दो।
बन सकूँ सुसंस्कृत मैं बेटी,
ऐसा मुझको तुम ज्ञान दो।।
बेटी बनकर आने दो तुम,
मुझे कोई बाला न समझे।
मेरा भी अधिकार उतना,
पुरुष स्व आला न समझे।।
आने दो दुनिया में मुझे भी,
धीरे धीरे संसार बदल दूँगी।
छाईं जो गंदी मनोवृत्तियाँ,
वैश्विक संस्कार बदल दूँगी।।
बेटी समझ न करो उपेक्षा,
बेटी सादर सहर्ष बुलाओ।
बेटी ही संसार की संस्कृति,
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।


बालिका दिवस

बालिका बधु में मर्यादाओं का हनन देखा।
ऐतिहासिक बाल विवाह, सतिदाह देखा।
देखा है हमने- बिकती सुंदर बालाओं को,
बालाओं को नोंचा, खंदक में सड़ते देखा।।

राष्ट्रीय बालिका दिवस मनालो आज कवि।
आसमानता अधिकारों को दोहरालो कवि।
१५ साल हुए, भारत सरकार ऐलान किया,
महिला प्रधानमंत्री बन- चमकी नभ में पवि।।

बेटी बचाओ-बेटी बचाओ अभियान उभरा।
सुकन्या स्मृद्धि योजना से आरक्षण सुधरा।
बालिका कल नारी नारायणी बन गरजेगी,
बलात्कारी पाप जमा न कर पाए खुदरा।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल

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