बस इतनी सी चाह : हिंदी कविता | Bas Itni Si Chah Hindi Kavita
विषय: बस इतनी सी चाह
दिनांक:22 जन, 2023
दिवा: रविवार
सबकी चाहत एक मिला दे,
दिखा दे सच्ची राह हमारी।
मानव मानवता नेक हो जाय,
बस इतनी सी चाह हमारी।।
हर कोई हो धरा पर सुखी,
सबकी सुंदर निगाह प्यारी।
दोष क्लेश से हों हम वंचित,
सबको मिले ये छाँह हमारी।।
मानव मानव एक बनें हम,
एक दूजा शक्ति बाँह हमारी।
हर्षित पल्लवित हर जन हों,
नहीं मचे कहीं ये त्राह भारी।।
जन जन दूजे के उर में बसें,
मुँह से न आवे ये आह बारी।
महामारी से अब तू बचा ले,
बस इतनी सी चाह हमारी।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार
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