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मैं संविधान हूँ : संविधान दिवस पर कविता | Samvidhan Diwas Par Kavita

मैं संविधान हूँ : संविधान दिवस पर कविता

आज संविधान दिवस की हर माताओं, बहनों एवं बहनों की हार्दिक सादर शुभकामनाएँ एवं सादर नमन।

विषयः संविधान दिवस
शीर्षकः मैं संविधान हूँ

संविधान दिवस

भारत का मैं मान मर्यादा,
भारतीय पावन विधान हूँ।

समता का हूँ मूलक मैं तो,
हाँ भारतीय मैं संविधान हूँ।।

हर भारतीय बसा मुझमें,
भारतीयता में ही मैं बसा हूँ।

सिखाता हूँ भारतीय संस्कृति,
भारतीयता का मैं श्वसा हूँ।।

अधिकार कर्तव्य दिखाता मैं,
सब हेतु सम अधिकार बना।

अधिकार संग कर्तव्य जुड़ा है,
जन जन हेतु मैं खड़ा तना।।

सत्य मार्ग ही दिखलाने वाला,
मानव हृदय का ही इमान हूँ।

विश्व भी होता प्रेरित मुझसे,
हाँ भारतीय मैं संविधान हूँ।।

सत्य अहिंसा मार्ग विचरता,
मैं भारतीयता का पहचान हूँ।

उदारता रूपी विमान बैठाकर,
शीर्ष पहुँचानेवाला विमान हूँ।।

हर भारतीय बने अरमाँ मेरी,
मै भारतीयों का ही अरमान हूँ।

नेक बने हर तेरी मेरी इच्छा,
हाँ भारतीय ही मैं संविधान हूँ।।

पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

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